दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था..!!
सुना है बहुत बारिश है तुम्हारे शहर में,
ज्यादा भीगना मत..
अगर धूल गई सारी ग़लतफहमियां,
तो फिर बहुत याद आएंगे हम!!
कितनी जल्दी यह मुलाकात गुज़र जाती है,प्यास बुझती भी नहीं बरसात गुज़र जाती है,अपनी यादों से कहो यु ना आया करेनींद आती भी नहीं रात गुजर जाती है..
Aye barish zara tham ke baras,Jab mera yaar aa jaye to jam ke baras,Pehle na baras ki woh aa na sake,Phir itna baras ki woh ja na sake.
कभी शोख हैं,
कभी गुम सी है..
ये बारिशे भी तुम सी है..