सुबह का प्रणाम सिर्फ परंपरा नहीं ,
बल्कि अपनेपन का एहसास भी हैं ,
ताकि रिश्ते भी ज़िंदा रहे और यदि भी बनी रहे…
ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते..
लेकिन कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती हैं जो पूरी उम्र याद रहता हैं.
Jindgi Me Do Baten Yad Rkhni Chahiye
1. Apne Maa Baap Ko Kbhi Koi Dukh Mat Do.
2. Or Kbhi Kisi se Sukh Ki Ummid Mat Kro.
अमर वही इंसान होते हैं
जो दुनियां को कुछ देकर जाते हैं
जिसकी नीति अच्छी होगी,
उसकी हमेशा उन्नत होगी,
“मैं श्रेष्ट हूँ”… यह आत्मविश्वास है,
लेकिन
“सिर्फ मैं ही श्रेष्ट हूँ”…यह अहंकार है।