बैठ कर खामोश अब हम तुम्हें आजमाएंगे।
देखते हैं अब हम तुम्हें कब याद आएंगे….
इतने हसीं चेहरे को देख कर चाँद भी सरमा गया,
आया मेरे पास और चुपके से फार्मा गया,
की जा रहा हु मैं छुपाने को अपनी ये खूबसूरती,
क्यों की मुझ से भी हसीन कोई आया और इस जहां पर छा गया
इश्क़ वही है जो हो एकतरफा हो
इज़हार-ऐ-इश्क़ तो ख्वाहिश बन जाती है
है अगर मोहब्बत तो आँखों में पढ़ लो ज़ुबान से इज़हार तो नुमाइश बन जाती है
कमाल की निशानेबाज हो तुम
तिरछी नजर से भी सीधा दिल पे वार करती हो
उठाये जो हाथ उन्हें मांगने के लिए,
किस्मत ने कहा, अपनी औकात में रहो।