मेरी कश्मकश का कैसे लफ्ज़ों में इज़हार हो,
मेरी बेक़रारी जाने वो, जो खुद भी बेक़रार हो!
जिस जिसका मैं हुआ नहीं
उसकी जिंदगी सवर गयी
मैं राह देखता रहा जाने किसकी
और इन्ही राहों पे ये जिंदगी गुजर गयी
लबों से छू लूँ जिस्म तेरा, साँसों में साँस जगा जाऊँ, तू कहे अगर इक बार मुझे, मैं खुद ही तुझमें समा जाऊँ।
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया हमने,
अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।
Aa Bichadne Ka Koi Aur Tareeqa DhoodhenPyyar Badhta Hai Meri Jaaan Khafa Rahne Se