तेरे जिस्म से मेरी गुफ़्तगू रही रात भर
कहीं मैं नशे में ज़्यादा बक तो नहीं गया
ये जो इतने प्यार से देखता है तू आजकल
मेरे यार कहीं तू मुझसे थक तो नहीं गया