Tujse kaise Nazar milaye dilbarjani,
Tujse kaise Nazar milaye dilbarjani
Meri right ankh kani (-_+)
Teri left ankh kani (+_-)
जाने क्यूँ आजकल, तुम्हारी कमी अखरती है बहुतयादों के बन्द कमरे में, ज़िन्दगी सिसकती है बहुत
भारी गर्मी पड़नी शुरु हो गयी है,
और लड़कियाँ “सुलताना डाकू” बने घुमने लगी है…
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कभी कभी तो पता नहीं चलता है कि
साला ये अपना इलाका है या
“चंबल के डाकू” का… ?
शाम भी खास है, वक़्त भी खास है,
तुझको भी एहसास है, तो मुझको भी एहसास है,
इससे जयादा मुझे और क्या चाहिए,
जब मैं तेरे पास, और तु मेरे पास है
वो अपनी ज़िंदगी में हुआ मशरूफ इतना;
वो किस-किस को भूल गया उसे यह भी याद नहीं।