होठो पे उल्फत के फ़साने नही आते
जो बीत गये फिर वो जमाने नही आते
दोस्त ही होते है दोस्तों के हमदर्द
कोई फरिस्ते यहा साथ निभाने नही आते
Phooloan se kya dosti karte ho,Phool to murjha jaate hain.Aggar dosti karni hai to kaanton se karo,Kyun ki woh chubh kar bhi yaad aatein hain.
Maangi thi jab humne dua rab se,Dena mujhe wo dost ho jo alag sabse,Usne hume mila diya aapse aur kahaSambhaalo inhe yeh anmol hai sab se
मेरे “शब्दों” को इतने ध्यान से ना पढ़ा करो दोस्तों,
कुछ याद रह गया तो.. मुझे भूल नहीं पाओगे!
सूरज के सामने रात नहीं होती,सितारों से दिल की बात नहीं होती,जिन दोस्तों को हम दिलसे चाहते है,न जाने क्यों उनसे रोज़ मुलाकात नहीं होती.