क्यों मरते हो यारो सनम के लिए,ना देगी दुप्पटा कफ़न के लिए,मरना है तो मारो वतन के लिए,तिरंगा तो मिलेगा कफ़न के लिए.
“ज़िंदगी” की “तपिश” को
“सहन” कीजिए “जनाब”,
अक्सर वे “पौधे” “मुरझा” जाते हैं,
जिनकी “परवरिश” “छाया” में होती हैं…
अच्छाई और बुराई दोनों हमारे अंदर हैं
जिसका अधिक प्रयोग करोगे वो उभरती व निखरती जायगी
ना कड़ी धुप की फ़िक्र है उसे, ना घनघोर वर्षा की,
उसे तो सिर्फ दो वक्त की रोटी की फ़िक्र है,
लेकिन वो भी उसके नसीब में नहीं है।
खाना खाते वक्त ये दुआ जरूर करना दोस्तों
जिसके खेतों से मेरा खाना आया हैं उसके बच्चे कभी भी भूखे न सोये.
लोग कहते हैं बेटी को मार डालोगे,तो बहू कहाँ से पाओगे?
जरा सोचो किसान को मार डालोगे, तो रोटी कहाँ से लाओगे?