काश फिर मिलने की वजह मिल जाए!
साथ जितना भी बिताया वो पल मिल जाए!
चलो अपनी अपनी आँखें बंद कर लें!
क्या पता ख़्वाबों में गुज़रा हुआ कल मिल जाए!
कौन याद रखता हैं गुजरे हुए वक़्त के साथी कोलोग तो दो दिन में नाम तक भुला देते हैं |
मेरे “शब्दों” को इतने ध्यान से ना पढ़ा करो दोस्तों,
कुछ याद रह गया तो.. मुझे भूल नहीं पाओगे!