माता भूमि पिता है पानी, यही कह रही है गुरबानी।
जल तो है सोना, इसे कभी भी नहीं खोना।
हम सब मिल संकल्प करेंगे, पानी कभी न नष्ट करेंगे।
जल जीवन का अनमोल रतन, इसे बचाने का करो जातन।
जल से जीवन, जीवन ही जल, समझे जब तभी बचे जल। जन-जन हमें जगाना होगा, जल सब तरह बचाना होगा।
जल है तो कल हैं।
आज रंग बरसे, कल पानी को तरसे।
पानी बिना जीवन नही।
बूंद बूंद से भरती है घागर और कई घागरो से बनता है महासागर।
जल बचाओ, हर पल बचाओ।
पानी बचाओ, पानी बचाओ, पानी है अनमोल – न बहाने दो पानी को जानो इसका मोल।
हम अपने भविष्य को सुरक्षित कर, जल बचाये, जीवन बचाये।
अच्छी सेहत चाहिए तो साफ जल अपनाईये।
जल संरक्षण, जरुरत भी और कर्तव्य भी।