'सम्मानहीन मनुष्य एक मृत व्यक्ति के समान होता है।" ~महाराणा प्रताप
ये संसार कर्मवीरो की ही सुनता है। अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो। ~महाराणा प्रताप
समय इतना बलवान होता है, कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है। ~महाराणा प्रताप
अपनी कीमती जीवन को सुख और आराम कि जिन्दगी बनाकर कर नष्ट करने से बढिया है कि अपने राष्ट्र कि सेवा करो। ~महाराणा प्रताप
समय एक ताकतवर और साहसी को ही अपनी विरासत देता है, अतः अपने रस्ते पर अडिग रहो। ~महाराणाप्रताप
हल्दीघाटी के युध्द ने मेरा सर्वस्व छीन लिया हो। पर मेरी गौरव और शान और बढा दिया। ~महाराणा प्रताप
जो सुख मे अतिप्रसन्न और विपत्ति मे डर के झुक जाते है, उन्हे ना सफलता मिलती है और न ही इतिहास मे जगह। ~महाराणा प्रताप
अपने अच्छे समय मे अपने कर्म से इतने विश्वास पात्र बना लो कि बुरा वक्त आने पर वो उसे भी अच्छा बना दे। ~महाराणा प्रताप
जो अत्यंत विकट परिस्तिथत मे भी झुक कर हार नही मानते। वो हार कर भी जीते होते है। ~महाराणा प्रताप
अगर सर्प से प्रेम रखोगे तो भी वो अपने स्वभाव के अनुसार डसेगाँ ही। ~महाराणा प्रताप
शत्रु सफल और शौर्यवान व्यकति के ही होते है। ~महाराणा प्रताप
एक शासक का पहला कर्त्यव अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाने का होता है। ~महाराणा प्रताप
तब तक परिश्रम करते रहो जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल न मिल जाये। ~महाराणा प्रताप
मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान उसकी सबसे बङी कमाई होती है।अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए। ~महाराणा प्रताप
मातृभूमि और अपने माँ मे तुलना करना और अन्तर समझना निर्बल और मुर्खो का काम है। ~महाराणा प्रताप