राष्ट्रभाषा सर्वसाधारण के लिये जरुरी है और हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी ही बन सकती है।
हमारी स्वतंत्रता कहाँ है, राष्ट्रभाषा जहाँ है।
प्रांतीय ईर्ष्या द्वेष दूर करने में जितनी सहायता हिंदी प्रचार से मिलेगी उतनी दूसरी चीज में नहीं।
हिंदी सिखे बिना भारतीयो के दिलो तक नही पहुँचा जा सकता।
हिंदी शताब्दियोसे राष्ट्रिय एकता का माध्यम रही है।
हिंदी का सन्मान, देश का सन्मान है।
हम सब का अभिमान हैं हिंदी, भारत देश की शान हैं हिंदी।
आइये एकसाथ बढीये हिंदी को अपनाइये।
हिंदी में पत्राचार हो हिंदी में हर व्यवहार हो, बोलचाल में हिंदी ही अभिव्यक्ती का आधार हो।
हिंदी की दौड किसी प्रांतीय भाषासे नहीं अंग्रेजी से है।
एकता की जान है, हिंदी देश की शान है।
जबतक आपके पास राष्ट्रभाषा नही, आपका कोई राष्ट्र भी नही।
हिंदी मै काम करना आसन है शुरू तो किजीये।
सीखो जी भर भाषा अनेक, पर राष्ट्रभाषा न भूलों एक।
राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।