जल्दी-जल्दी और कम टाइम में बनने वाली चीजों की लिस्ट में नंबर वन पर आती हैं मैगी. मैगी खाने में जितनी टेस्टी बनाने में उतनी ही आसान होती हैं. बच्चे से लेकर बड़े तक, स्कूल से लेकर कॉलेज कंटीन तक, गली, चौराहे और टी स्टॉल तक.
हर जगह आसानी से मिलने वाली मैगी से जुड़ी खास बातों के बारे में बहुत ही कम लोग जाते हैं. लोग भले ही बहुत ही चाव से इसे खाते हैं. लेकिन उन्हें ये नहीं पता हैं कि मैगी आखिर आयी कहाँ से? इसकी शुरुआत कब हुई? आज हम आपको मैगी से जुड़ी इन्हीं कुछ ख़ास जानकारियों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.
इस शख्स ने की थी मैगी की शुरुआत
आपकी फेवरेट साल 1872 में जूलियस मैगी नाम के इंसान ने की थी. जूलियस एक स्विट्ज़रलैंड बिजनेस मैन थे और इनकी पहली कंपनी का नाम मैगी था. जूलियस मैगी ने शुरुआत जूस और सॉस से की थी. जिस समय जूलियस ने कारोबार शुरू किया उस समय औद्योगिक क्रांति चल रही थी. जिसकी वजह से महिलायें फैक्ट्री में घंटों काम करके जाती और फिर खाना बनाती. जिससे वो काफी थक जाती थी. ऐसे में जूलियस ने आटे से मैगी नूडल बनाया और इसका नाम अपने सेकेंड यानी सरनेम पर ही मैगी रखा. इसके कई सालों बाद 1897 में मैगी नूडल्स जर्मनी में शुरू हुई.
1947 में नेस्ले ने ख़रीदा था मैगी
मैगी के आने से लोगों को काफी लाभ हुआ क्योंकि ये दो मिनट में बन जाती थी. साथ ही इसके स्वाद ने लोगों को इसके तरफ खींच लिया. इसके बाद अमेरिका-फ्रांस में साल 1912 तक पहुंच गई थी. इसी साल जूलियस की मौत हो गई. लेकिन तबतक मैगी कई और देशों में लोगों के घरों तक पहुँच गई थी. साल 1947 में नेस्ले ने इसे खरीद लिया.
भारत में कब आई मैगी?
मैगी के दीवाने सिर्फ विदेशों में ही नहीं बल्कि भारत में भी कई सारे हैं. हर कोई मैगी खाना पसंद करता हैं. लेकिन भारत में मैगी की शुरुआत कब से हुई इसका जबाव किसी को नहीं आता. तो हम आपको बताते हैं कि भारत में मैगी की शुरुआत साल 1984 से हुई. इसके बाद साल 1999 में मैगी की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री भारत में इसके बाजार को बदल दिया. हालांकि साल 2008 में ब्रिटेन ने इसे अपने यहां ये कहते हुए बैन कर दिया था कि ये लोगों के मसल्स और हड्डियों के लिए हानिकारक हैं.