दुनिया भर में अलग-अलग देश के नोट्स की डिज़ाइन एकदम डिफरेंट होती हैं. कुछ तो काफी यूनिक होते हैं. ऐसे ही भारतीय करेंसी के 100, 500 और 2000 के नोट भी काफी खूबसूरत और अलग-अलग डिज़ाइन के साथ-साथ कलर में होते हैं.
इनपर भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का फोटो होता हैं. साथ कई अन्य चित्र अंकित होते हैं. इसके अलावा इन नोट्स पर कई सारी भाषाएँ लिखी होती हैं. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा हैं कि इन नोट्स पर कितनी भाषाएँ लिखी होती हैं? साथ ही ये कौन-कौन सी भाषाएं होती हैं? आज हम आपको भारतीय नोटों के से जुड़े इन्हीं सवालों के जवाब देने जा रहे हैं...
17 भाषाएँ होती हैं इन नोटों पर
भारत के हर एक नोट पर 17 भाषाएँ छपी होती हैं. जिसकी जानकारी आपको भारतीय रिज़र्व बैंक की वेब साइट पर मिल जाएगी. नोट पर आगे की तरह हिंदी और इंलग्लिश छपी होती हैं. तो इसके पीछे 15 अलग-अलग भाषाओं को प्राथमिकता दी गई होती हैं. ये पंद्रह भाषाएँ इस प्रकार से होती हैं, असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृति, तमिल, तेलगु और उर्दू. इसके अलावा 2000 के नोट पर ब्रेल लिपि पर अंकित हैं. जो उन लोगों को नोट पहचाने में मदद करते हैं, जो देख नहीं सकते हैं.
स्वतंत्र भारत का पहला नोट कौन सा था?
भारत की आज़ादी से पहले जॉर्ज पंचम की फोटो वाला ब्रिटिश नोट चलता हैं. जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज़ादी के तुरंत बाद से ही बंद कर दिया था. भारत का सबसे पहला नोट एक रुपए का था. जिसे सबसे पहले 30 नवम्बर 1917 को बनाया गया था. इसके पर सारनाथ में स्थित अशोक स्तम्भ के चार मुंह वाले शेरोन का चित्र बना था.
क्यों बना 1 का नोट?
भारत में 1 का नोट ब्रिटिश काल और प्रथम विश्वयुद्ध के समय बनाया गया था. इसके पहले भारत में एक रुपए का चांदी का सिक्का चलता था. लेकिन प्रथम विश्वयुद्ध के बाद हालत काफी ख़राब हो गई और इसके चलते चांदी का सिक्का बनना बंद हो गया. तब जाकर इस नोट को बनाया गया और इस पर जॉर्ज पंचम की फोटो थी. इसकी कीमत अन्य मुद्राओं के मुकालबे काफी कम थी.
कब-कब बंद हुआ 1 का नोट?
आज के समय में बाजार में कम दिखाई पड़ते हैं. लेकिन इसका ये मतलब नहीं हैं कि 1 रुपए का सिक्का अब बंद हो गया हैं. ये आज भी मान्य हैं और चलता हैं. भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर इसका मुद्रण करती रहती हैं. मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि बीते इतने सालों में इसको कई बार बंद करके का प्रयास किया गया. लेकिन जैसे नोटबंदी के बाद 500 और 1000 ने नोट सफलता से बंद हुए वैसे इनको बंद करने की योजनाएं सफल नहीं हुए.
अब तक केवल इसे दो बार बंद किया गया हैं. जिसमें पहली बार 1926 में हुआ था और साल 1940 में फिर से इसका प्रचलन और मुद्रण शुरू हुआ. साथ साल 1994 में एक बार फिर इसके मुद्रण पर रोक लगा दी गई. जो कि साल 2014 तक बंद रहा हैं लेकिन भारत सरकार ने साल 2015 में फिर से छापने का आदेश दिया. इसमें अब हरा और गुलाबी रंग भी शामिल किया गया हैं.