इंसान बाकी जानवरों में सबसे ज्यादा समझदार माना जाता हैं. इसका दिमाग सबसे ज्यादा विकिसित हैं. साथ ही हमने आपस में बात करने के लिए भाषाओं का निर्माण किया. इसी वजह से आज हम अपनी बातों को शब्दों के जरिए बयान कर सकते हैं.
जबकि जानवर ऐसा नहीं कर पाते हैं. सुबह उठाने से लेकर रात में सोने तक इंसान दिन भर बोलता रहता हैं. कुछ ना कुछ किसी ना किसी कारण से उसका मुंह चलता रहता हैं. लेकिन कभी आप ने इस बात पर गौर किया हैं कि एक इंसान रात में सोने तक कितने शब्द बोलता हैं? क्यों हैं ना ये ट्रिकी अऊर हैरानी भरा सवाल! इसके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता हैं और शायद आप को भी इसका जवाब नहीं मालूम होगा. लेकिन फिक्र मत कीजिए क्योंकि आज हम आपको इसके बारे में सारी जानकारी देने जा रहे हैं. जिसे पढ़कर आपको इस सवाल का जवाब मिल जायेगा.
जीवन भर कितने शब्द बोलता हैं एक इंसान?
हम सुबह नाश्ते के टेबल से लेकर ऑफिस की मीटिंग, दोस्तों और अपनों के साथ कई सारी बात करते हैं. अगर हम इस बात पर गौर करके शब्दों को गिनना शुरू कर दे तो. हमारा दिमाग घूम जायेगा. इतनी बाते करते हैं. ऐसे में ये समझना बहुत जरुरी हैं कि एक इंसान अपने पूरे जीवन काल में कितना बोलता हैं? मरते दम तक एक इंसान कितने शब्द बोलता होगा? इसका जवाब एक ब्रिटिश राइटर Gyles Brandreth ने अपनी किताब The Joy of Lex: How to Have Fun with 860,341,500 Words में इस बात की पुष्टि कि हैं कि एक आदमी अपने पूरे जीवन में लगभग 860,341,500 शब्द बोलता हैं. जिसको मोटा-मोटा 86 करोड़ कहा जाता हैं. अपने जीवन में अंतिम साँस तक एक इंसान अपनी ज्यादातर एनर्जी इन्हीं शब्दों पर खर्च करता हैं.
अब समझते हैं कि हम एक दिन में कितने शब्द बोलते हैं?
इसके बारे में एक रिसर्च Jeff Ansell ने किया था. Jeff Ansell एक लिंक्डइन लर्निंग इंस्ट्रक्टर हैं. जिन्होंने ने इसको लेकर रिसर्च किया और अपने रिजल्ट में उन्होंने जो पाया वो हैरान करने वाला था. एक आम इंसान एक दिन सामान्यता 7000 शब्द बोल लेता हैं. लेकिन कुछ बहुत बोलने वाले लोग इससे ज्यादा बोल सकते हैं.
ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी को लगभग 15 बार लिखा जा सके इतना बोलता हैं इंसान
एक इंसान जीवन भर जीतने शब्द बोलता हैं अगर उसकी तुलना ऑक्सफ़ोर्ड की डिक्शनरी से करें तो इसमें लिखें कुल शब्दों को इस्तेमाल करके इसे लगभग 15 बार लिखा जा सकता हैं. एक इंसान बाइबिल में लिखें शब्दों से करीब 1110 गुना ज्यादा शब्द अपने पूरे जीवन में बोलता हैं.