आखिर स्कूल बसों का रंग पीला ही क्यों होता हैं? कभी सोचा हैं, इसके बारे में?

Why all the School buses are yellow in color? Do you know the reason?

स्कूल में हम लोग कई सारी ज्ञान की बातें सीखते हैं. इसे विद्या का मंदिर कहा जाता हैं. इसके अंदर बच्चों का भविष्य बनाया जाता हैं. आप ने स्कूल के अंदर इस्तेमाल की जाने वाली बसों को जरूर देखा होगा. 

लेकिन क्या कभी आपने इस बात पर गौर किया हैं कि आखिर इसका रंग पीला ही क्यों होता हैं? स्कूल के बस को किसी औररंग का क्यों नहीं बनाया जाता? दरअसल इसके पीछे कुछ राज हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. इसलिए आज हम आपको इसी राज के बारे में बताने है रहे हैं. तो आइये इस आर्टिकल के जरिए इस राज को समझते हैं. ताकि इसका असली कारण आपको भी पता चल सके. 

कब शुरू हुआ गाड़ियों का प्रचलन?

स्कूली बच्चों को लाने ले जाने के लिए संसाधनों की शुरुआत 19वीं सदी में उत्तरी अमेरिका में हुई थी. उस समय छात्रों को घर से स्कूल और स्कूल से घर ले जाने के लिए घोड़ा गाड़ी का इस्तेमाल होता था. इसके बाद 20वीं सदी में पहले बार लड़की और धातु से बनी मोटर गाड़ियों का इस्तेमाल शुरू हुआ. जिसके ऊपर पीले और नारंगी रंग की पट्टी बनी होती थी. जिससे वो दूर से ही दिखाई दे और लोग उसे पहचान जाये. 

साल 1939 से आधिकारिक तौर पर स्कूली बसों को पीले रंग में रंगने का काम अमेरिका से ही शुरू हुआ. भारत, अमेरिका और कनाडा में ज्यादातर स्कूली बसों का रंग पीला हैं. भारत समेत कई सारे देशों की कोर्ट ने स्कूली बसों का पीला रंग होना अनिवार्य किया हैं.

बसों पर क्यों लिखा होता हैं Marco POLO?

अगर आप ने गौर किया होगा तो स्कूल बसों के साथ-साथ भारत के तमाम बसों पर के नाम लिखा हुआ देखा होगा. जिसको Marco POLO पढ़ते हैं. लेकिन कभी आप ने सोचा हैं कि ऐसा क्यों होता हैं? दरअसल Marco POLO दुनिया की इकलौती बस निर्माता कंपनी हैं. जोकि ब्राजील से हैं लेकिन इसका सबसे बड़ा मार्किट भारत में हैं. इस कंपनी का नाम एक बेहतरीन ट्रैवेलर Marco POLO के नाम पर हैं. इसलिए इस कंपनी के लोगो के नाम पर हर बसों पर Marco POLO लिखा होता हैं. ब्राजील के इस कंपनी का भारत में टाटा मोटर्स के साथ पार्टनरशिप हैं. ये कंपनियां एक साथ मिलकर पीले रंग का स्कूल बस बनाने के साथ कई सारी परिवहन बसों का निर्माण करती हैं.