रुद्राक्ष से जुड़ी ये बातें नहीं जानते होंगे आप, जानिए इसके उत्पति की कहानी

Know the interesting facts about the origin of Rudraksha

रुद्राक्ष आप ने कई बार कई सारे मंदिरों में, घरों में और लोगों को पहने हुए देखा होगा. ये देखने में बहुत ही खूबसूरत होते हैं. साथ ही इनका इस्तेमाल ज्यादातर अखंड पाठ या फिर मंत्रो उच्चारण के लिए करते हैं. 

कई सारे लोग इसे अपने गले या हाथों में धारण करते हैं. हिन्दू धर्म ग्रंथ में रुद्राक्ष का बहुत ही महत्व हैं. भगवान शिव को मानने वाले भक्त इसे पहनते हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी हैं कि ये रुद्राक्ष कहाँ होता हैं? ये कहाँ से आता हैं? कई बार लोग पूछते हैं कि क्या इसका भी कोई पेड़ होता हैं? रुद्राक्ष के बारे में ऐसे ही कई सारे सवालों के जवाब कई लोगों को नहीं पता हैं. आज इस आर्टिकल में हम आपको रुद्राक्ष से जुड़ी इन्हीं कुछ खास सवालों के जवाब दीने जा रहे हैं. 

क्या होता हैं रुद्राक्ष और कैसे हुई इसकी उत्पत्ति?

रुद्राक्ष संस्कृत के दो शब्दों रूद्र और अक्ष से मिलकर बना हैं. रूद्र भगवान शिव का ही एक नाम हैं. जबकि अक्ष का अर्थ आंसू से हैं. तो मूल रूप से रुद्राक्ष का मतलब हुआ भगवान शिव का आंसू. लेकिन समझने के लिए आप इसको ऐसे समझिए कि रुद्राक्ष एक मनका/मोती की तरह होता हैं. जो एक पेड़ से उत्पन्न होता हैं. लेकिन शिवमहापुराण और हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार इसकी उत्पति के पीछे एक पौराणिक कथा हैं. कहते हैं कि एक बार भगवान शिव देवी सती के वियोग में काफी ज्यादा दुःखी हो गए और उस समय उनके आंखों से निकलने वाले आंसू कई सारे जगहों पर बिखर गए. जिसके बाद उन जगहों पर रूद्राक्ष नाम के वृक्ष की उत्पति हुई. 

रुद्राक्ष का पेड़ कहाँ पाया जाता हैं?

रुद्राक्ष के पेड़ को इंग्लिश में एलाओकार्पस गनिट्रस ( Elaeocarpus ganitrus trees) बोलते हैं. जोकि 60-80 फीट यानी 18 से 24 मीटर लम्बे होते हैं. ये पेड़ नेपाल के साथ-साथ हिमालय और गंगा के तराई क्षत्रों के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं. इसकी कई सारी प्रजातियां हैं जिनमें से 300 प्रजातियां तो अकेले भारत में मिलती हैं. ये एक सदाबहार पेड़ होता हैं. जो जल्दी बढ़ता हैं और इस पर फल आने में 3-4 साल लगते हैं. 

कैसे बनता रुद्राक्ष?

इसके फल को सुखाकर रुद्राक्ष बनता हैं. जो सफेद, लाल, पीले और काले रंग के होते हैं. रुद्राक्ष में पायी जाने वाली रेखाएं ये बताती हैं कि ये कितना मुखी रुद्राक्ष हैं. पहले जमाने में 108 मुखी रुद्राक्ष मिलते थे. लेकिन आज के समय में 1 से 5, 6 मुखी ही दिखाई देते हैं. इनका आकार काफी छोटा होता हैं. जिन्हें मिलीमीटर में नापा जाता हैं.