बच्चा जब छोटी क्लास से बड़ी क्लास में आता हैं तो उसे पेन मिलता हैं. इंडिया में 5वीं क्लास के बच्चे पेन से लिखना शुरू करते हैं. पेन का इस्तेमाल हर कोई करता हैं. इसकी जरूरत डेली होती हैं.
ये हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में पहली बार पेन कब आया? पेन का आविष्कार किसने और कब किया? पेन की स्याही कैसे बनती हैं? फाउंटेन पेन कब आया? बॉलपेन और फाउंटेन पेन में क्या अंतर होता हैं? ऐसे ही कई सारे सवाल पेन से जुड़े हुए हैं. लेकिन इनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. आज हम आपको पेन से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताने है रहे हैं. तो चलिए जानते हैं....
एक अमेरिकन ने किया था पेन का आविष्कार
आधुनिक बॉलपॉइंट पेन का आविष्कार साल 1888 में एक अमेरिकन वकील ने की थी. पेन के आविष्कार से पहले के लोग मोर पंख आदि से लेखन का काम करते थे. लेकिन जॉन जैकब लाउड ने अमेरिका में पहला पेन बनाया था. इसका आइडिया जॉन जैकब लाउड को एक बार लेदर का काम करते हुए आया था. जब वो लेदर काटने के लिए उस पर निशान लगा रहे थे और वहीं से पेन की उत्पति हुई. उन्होंने पहला बॉल पेन बनाया धातु से बनाया था. जिसकी नोक धातु के बॉल की तरह थी और इसे आसानी से घुमाया जा सकता था. 30 अक्टूबर 1888 में जॉन जैकब लाउड ने पेन को पेटेंट करा लिया था.
मॉर्डन पेन कब बना?
जॉन जैकब लाउड के द्वारा बनाया गया पेन लेदर पर अच्छे से चलता था लेकिन कागज पर नहीं. इसके कई सालों बाद तकरीबन 1939 को मॉर्डन बॉल पेन बनाया गया. इसको हंगरी के लादिसालो जोस बिरो ने बनाया था. जो कागज पर बेहतरीन तरीके से चलता था. ये पेन काफी कमाल का था जो कई वर्षों में 100 अरब से ज्यादा बिके थे.
फाउंटेन पेन कब और किसने बनाया?
अब बात करते हैं कि फाउंटेन पेन की, ये भी दुनिया का सबसे डिमांडिंग पेन हैं. इसका निर्माण रोमानिया के पेट्राक पोएनारू ने साल 1827 में बनाया था. इसके बाद साल 1884 में फाउंटेन पेन की डिज़ाइन में काफी चेंज किये गए. इसको अमेरिका के लुइस वाटरमैन ने किया था.
पेन की स्याही कैसे बनाई जाती है?
पेन की स्याही ही सबसे ज्यादा जरुरी चीज हैं. जिसके खत्म हो जाने से पेन की कोई अहमियत नहीं होती हैं. इसलिए इसकी स्याही को बनाने के लिए कई सारे रंगों के साथ डाई मिलाकर बनाते हैं. इसके अंदर पानी या तेल जैसी कोई तरल भी मिलाया जाता हैं. साथ ही ये कागज पर अच्छे से चले तो इसके अंदर कई सारे केमिकल मिलाते हैं. जिनमें ओलेक एसिड और अल्काइल अल्कानोलामाइड शामिल होते हैं.
दुनिया की सबसे महंगे पेन का नाम ‘टिबाल्डी फुलगोर नोक्टर्नस’ हैं. जिसकी कीमत 60 करोड़ रुपए हैं. इसको एक इटली की कंपनी बनाती हैं.