घर खरीदना कई लोगों का सपना होता हैं. कई लोगों को लगता हैं कि प्रॉपर्टी या फ्लैट खरीदते समय सिर्फ उसकी की कीमत चुकानी होती हैं. लेकिन ऐसा नहीं होता हैं. जब भी आप कोई नई प्रॉपर्टी, घर, मकान या फ्लैट लेते हैं.
तो उसकी कीमत के साथ-साथ आपको कुछ अतिरिक्त चार्ज भी देने पड़ते हैं. जिसके बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती हैं. आज हम आपको घर खरीदने पर लगने वाले इन्हीं अतिरिक्त चार्जों के बारे में बताने जा रहे हैं.
बैंक होम लोन में नहीं देती हैं पूरे पैसे
जब भी आप होम लोन देने जाते हैं. तो बैंक आपको पूरे पैसे नहीं देती हैं. वो आपको सिर्फ 80% ही रकम देती हैं. बैंक या लोन देने वाली एजेंसी प्रॉपर्टी की के 80% दाम ही देते हैं. इसके बाद की रकम आपको खुद जुटाने होते हैं. इसी को डाउन पेमेंट कहते हैं.
ब्रोकर को देना पड़ता हैं कमीशन
अगर आप कोई भी प्रॉपर्टी खरीदते हैं और इसके लिए ब्रोकर की मदद लेते हैं. तो आपको उसे कमीशन भी देना पड़ता हैं. ब्रोकर की कमीशन प्रॉपर्टी के दाम के अनुसार 2% होती हैं. साथ ही जीएसटी भी देनी होती हैं. ब्रोकर की कीमत महंगी प्रॉपर्टी में कम और सस्ती प्रॉपर्टी में ज्यादा होती हैं.
स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज
आपको बता दें की आपको घर खरीदने पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज भी देना पड़ता हैं. जो कि कई आधार पर अलग-अलग हो सकती हैं. ये आधार इस प्रकार से हो सकते हैं.. स्थान, राज्य, सुविधाओं और उद्देश्य, प्रॉपर्टी की उम्र, मकान मालिक की उम्र और लिंग.
किसी भी प्रॉपर्टी पर लगने वाला स्टांप ड्यूटी चार्ज उस प्रॉपर्टी की कीमत का 5-6 % होता हैं. जबकि रजिस्ट्रेशन चार्ज 1% होता हैं.
सोसाइटी चार्ज
आपका घर हाउसिंग कॉम्प्लेक्स या किसी सोसाइटी में हैं. तो आपको कुछ अतिरिक्त चार्ज भी देना होता हैं. सोसाइटी में मेंटेनेंस का चार्ज भी लगता हैं. इसके साथ-साथ सिक्योरिटी, हाउस कीपिंग, गार्डन स्टाफ का वेतन, वाटर-टैंकर चार्ज आदि देना होता हैं. ये सभी चार्ज लगने से प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ जाती हैं.
अन्य चार्ज
इन सभी चार्ज और खर्चों के अलावा भी कई सारे खर्च प्रॉपर्टी में होते हैं. जिनका भुगतान आपको करना होता हैं. इसमें इंटीरियर डेकोरेशन चार्ज, वुडवर्क और कारपेंटर चार्ज, वाटर कनेक्शन और इलेक्ट्रिसिटी फिटिंग, पाइप्ड गैस कनेक्शन, फ्लोरिंग और फर्निशिंग चार्ज, पेंटिंग और वाटरप्रूफिंग शामिल होते हैं. एक घर या फ्लैट खरीदने में इन सभी खर्चों को जोड़कर ही बजट तैयार करना चाहिए. ऐसा करने से आपको ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता हैं.