वास्तु टिप्स: पूजा घर में देवी-देवताओं की ऐसे मूर्तियां रखने से होता है अपशगुन, आज ही बदले

Avoid to keep these kinds of statutes in the temple room

अक्सर घर में कई बार झगड़े और क्लेश होते रहते है. जबकि आपके घर में धन-धान्य और संपदा की कोई कमी भी नहीं रहती हैं. इसके बावजूद घर के सदस्य आपस में लड़ते-झगड़ते रहते है. 

जिनकी वजह से घर की सुख-शांति भंग हो जाती है. जिससे घर वालों के भी में दरार भी आ जाती है. जिससे छुटकारा पाने के लिए आप कई तरह के प्रयत्न करते हैं लेकिन कोई हाल नहीं निकलता है. वास्तु के अनुसार ऐसा घरों में कई सारे वास्तुदोष हो सकते है. जिनमें से सबसे जरुरी और महत्वपूर्ण होता है, आपके घर का पूजा स्थान. वास्तु में इसका काफी ज्यादा महत्व है. अक्सर लोग अपने घर के स्थित पूजा घर में भगवान की मूर्ति स्थापना करते समय कई सारी गलतियां कर देते है. जिससे घर में वास्तुदोष आ जाता है और यहीं घर में धनहानि और कलह का मुख्य कारण बनता है. ऐसे में वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के अंदर कभी भी पूजा स्थान पर भगवान या देवी-देवताओं की इन 4 प्रकार की प्रतिमा नहीं लगानी चाहिए. 


देवी-देवताओं के क्रोधित रूप की प्रतिमा 

वास्तुशास्त्र कहता है कि जिस घर में देवी-देवताओं के उग्र यानी क्रोधित स्वभाव वाले चित्र या मूर्ति होते है. वहां पर हमेशा कलह और अशुभ होता है. घर के पूजा स्थान पर माँ काली, भैरव, राहु-केतु या भगवान शिव आदि के क्रोध मुद्रा वाली तस्वीरों को स्थान नहीं देना चाहिए. हमेशा घर में प्रसन्नचित और सौम्य रूप वाले चित्रों या मूर्तियों को लगाना चाहिए. इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. 


भगवान शिव की ये प्रतिमा ना लगाएं 

वैसे तो भगवान शिव की प्रतिमा या तस्वीर हर रूप में कल्याणकारी होती हैं. लेकिन वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के अंदर कभी भी भगवान शिव के नटराज मुद्रा वाली प्रतिमा या तस्वीरों को नहीं रखना चाहिए क्योंकि वास्तु के अनुसार ये रूप भगवान शिव का रूद्र रूप माना जाता हैं. ऐसे में अगर आप घर में उनके इस रूप का रोज दर्शन करते हैं. तो इससे घर के लोगों के मानसिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता हैं. महादेव का ये तांडव रूप हैं. जो काफी ज्यादा गुस्सैल और भयावह माना जाता हैं. 


खंडित या टूटी हुई मूर्ति ना रखें 

कई घर में मूर्ति स्थापित करते समय वो टूट जाती है या उस पर स्क्रेच आ जाता है. लेकिन कई लोग इसको नजरअंदाज करके पूजा गृह में रख देते हैं. जिसे वास्तु का सबसे बड़ा दोष माना जाता है क्योंकि टूटी हुई, चटकी हुई या खंडित मूर्ति की पूजा करना अपशगुन होता है. इससे घर में दुर्भाग्य आता है. नकारात्मक ऊर्जा का आगमन घर में तेज हो जाता है. इसलिए कभी भी पूजा स्थल पर खंडित मूर्ति ना रखें. इसके अलावा बड़ी प्रतिमा भी रखना उचित नहीं माना जाता. 


शनिदेव की मूर्ति रखने से बचे 

शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है. वो इंसान को उनके कर्मों के अनुसार से फल देते हैं और यही कारण है कि उन्हें कर्मफल दाता भी कहते है. ऐसे में जब उनकी वक्र दृष्टि किसी पर पड़ती है. तो उसके जीवन में साढ़े साती लग जाती है. उसका उसी पल से बुरा वक्त शुरू हो जाता हैं. इसलिए वास्तुशास्त्र कहता है कि घर में शनिदेव की प्रतिमा नहीं रखनी चाहिए.