Paralympics: तीन बार ओलंपिक्स में मेडल जीतने वाले देवेंद्र झाजरिया के बारे में 10 रोचक तथ्य

Top 10 Facts about Silver Medalist Devendra Jhajharia

भारत की तरफ से टोक्यो के पैरालिम्पिक्स  जेवलियन थ्रोअर में देवेंद्र झाजरिया ने एक बार फिर अपना परचम लहराया है. इससे पहले भी उन्होंने साल 2004 और 2016 के ओलंपिक्स में भाला फेंक प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीत चुके है. 

आज हम आपके लिए देवेंद्र झाजरिया की ज़िंदगी से जुड़े ऐसे ही 10 रोचक तथ्य लेकर आये है. जिसके बारे में आपको शायद ही कोई जानकारी हो. 

1. देवेंद्र झाजरिया राजस्थान के चुरू जिले के रहने वाले है. साल 1989 में जब ये आठ साल के थे, तभी इनका एक बांया हाथ काट दिया गया था क्योंकि एक बार ये पेड़ पर चढ़े थे. तभी वहीं पर 11000 वोल्ट की इलेक्ट्रिक लाइट के चपेट में आ गए थे. इलाज के दौरान डॉक्टरों को इन्हें बचाने के लिए इनका हाथ काटना पड़ा था. 


2. देवेंद्र झाजरिया का जन्म 10 जून 1981 में राजस्थान में हुआ था. ये भारतीय खेल प्राधिकरण के कोच भी है. इन्होंने साल 2007 में शादी की थी. इनकी पत्नी मंजू एक कब्बडी की खिलाड़ी है. 


3. टोक्यो पैरालिम्पिक्स को मिलाकर आज देवेंद्र झाजरिया के पास तीन पर ओलिंपिक में मेडल जीतने का ख़िताब है. उन्होंने साल 2004 और साल 2016 के ब्राजील के रियो ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था. 


4. देवेंद्र झाजरिया ने रियो ओलंपिक्स में भाला फेंक कम्पटीशन में साल 2004 में बनाया हुआ अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर एक बार फिर गोल्ड हासिल किया था. साल 2004 में उन्होंने 62.15 मीटर दूर भाला फेंकने का रिकॉर्ड बनाया था. जबकि उन्होंने साल 2016 63.15 मीटर का नया रिकॉर्ड हासिल किया था. 


5. हाथ कटने के बाद भी उनकी दिलचस्पी खेलों के प्रति बनी रही और उन्होंने अपने परिवार वालों के सपोर्ट से एथलीट बनने का फैसला तय किया था. 

 

6. देवेंद्र झाजरिया पहले ऐसे पैरा ओलिंपिक खिलाड़ी है जिन्हें पद्मश्री दिया गया है. साल 2012 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. इससे पहले साल 2004 में उन्हें अर्जुन अवार्ड से भी नवाजा गया था. 


7. देवेंद्र झाजरिया ने केवल गोल्ड मेडल ही नहीं जीता बल्कि इन्होंने इंडियन रेलवे में भी जॉब किया है. अभी वो इंडियन स्पोर्ट ऑथोरिटी के साथ काम करते है. 


8. देवेंद्र झाजरिया ने हादसे के दो साल बाद यानी दस साल की ही उम्र से भाला फेंकने का खेल, खेल रहे है. स्कूल में जाने के बाद ही उन्हें पैरालिम्पिक्स के बारे में जानकारी हुई थी. 


9. इनके कोच आरडी सिंह ने इन्हें काफी सपोर्ट किया. इनकी प्रतिभा को उन्होंने ने ही पहचान कर उन्हें आगे खेल में प्रोत्साहित किया. 


10. देवेंद्र झाजरिया आईडब्यूएएस वर्ल्ड के कई सारे टूर्नामेंटों में गोल्ड और सिल्वर मेडल्स जीतने का काफी ज्यादा रिकॉर्ड बनाया है.