वास्तु टिप्स: जानिए वास्तु के हिसाब से इन रंगों का महत्व, समृद्धि और खुशहाली के लिए

Best Vastu tips for Colors which bring Prosperity in Home

रंगों को खुशियों का प्रतीक माना जाता है. हर कोई चाहता है कि उसका जीवन भी इन रंगों की तरह रंगीन हो. वास्तु में भी इन रंगों का खास महत्व माना जाता है. 

अगर आप सही से रंगों का चुनाव अपने घर के लिए करते है. तो इसके सकारात्मक प्रभाव आपके घर और उसमें रहने वालों लोगों पर पड़ता है. लेकिन अगर आपने भूल से भी कई गलत रंग चुन लिया, तो इसके नकारात्मक प्रभाव को भी झेलना पड़ता है. इसलिए आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे है कि वास्तुशास्त्र के अनुसार कौन सा रंग आपके जीवन में खुशहाली ला सकता है. साथ ही इनका क्या मतलब है. तो आइये इसके बारे में जानते है..... 

लाल रंग 

वास्तुशास्त्र के अनुसार इस रंग को काफी ज्यादा अच्छा और प्रभावशाली माना जाता है. हर रंगों के अपेक्षा इसका प्रभाव सबसे अधिक और जल्दी होता है. इस रंग को घर में हमेशा ड्राइंग रूम में लगवाना चाहिए. ये रंग जीवन में खुशहाली और समृद्धि को लेकर आता है. इसलिए इसे ऐसे जगह इस्तेमाल करने जहां ज्यादा चहलकदमी हो. लेकिन इसे भूलकर भी बेडरूम में ना लगाये. इससे आपसी रिश्तों में बाधा आती है. 

नारंगी रंग 

वास्तु के हिसाब से ये रंग आपको मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाता है. इसका इस्तेमाल आप घर के उस हिस्से में करना चाहिए. जहां आप अपने परिवार के साथ बैठकर बातें करते है. इसे सामाजिकता का प्रतीक माना जाता है. ये रंग आपको मानसिक विकारों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है. 

पीला रंग 

वास्तुशास्त्र के अनुसार पीला रंग आशा का रंग है. ये कभी भी आपको निराश नहीं होने देता है. ये रंग आपके अंदर हमेशा उत्साह का ही संचार करता है. ऐसे में इस रंग को हमेशा हॉल या ड्राइंग रूम में ही इस्तेमाल करना चाहिए. 

हरा रंग 

वास्तु के हिसाब से ये रंग सद्भावना का है. इसका इस्तेमाल हेमशा बेडरूम में करने से आपसी रिश्ते मजबूत रहते है. साथ ही इसके प्रभाव से जीवन में खुशहाली आती है. 

नीला रंग 

नीले रंग को सत्य और वैचारिकता का रंग माना जाता है. ये रंग सुरक्षा की भावना को साफ दर्शाता है. वास्तु के हिसाब से आपको इस रंग को स्टडी रूम में या जहाँ भी आप चिंतन-मनन करते है. वहां पर लगवा सकते है. 

बैगनी रंग 

धर्म और आध्यात्मिकता के लिए इस रंग का खास महत्व है. जीवन में धार्मिक संगत और स्पष्ट चेतना के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. वास्तु के हिसाब से पूजा घर में इसका इस्तेमाल सबसे उचित होता है.