अंगूर खट्टे हैं

एक लोमड़ी थी, जो अंगूर खाने की बहुत शौकीन थी।

एक बार वह अंगूरों के बाग से गुजर रही थी. उसने चारों ओर स्वादिष्ट अंगूरों के गुच्छों को लटकते हुए देखा.  उसे देखकर उसके मुंह में पानी आ गया. वो किसी भी तरीके से उसे पाना चाहती थी. इसके लिए उसने काफी कोशिशे की. जिसके कारण हो काफी थक भी गई थी. इसके बाद वो थक-हार कर उन अंगूरों को नीचे गिरने का वेट करने गली. पूरा दिन बीत गया लेकिन एक भी अंगूर नीचे नहीं गिरा. इधर लोमड़ी की भूख बढ़ने लगी लेकिन वो अब किसी भी तरीके से कोई प्रयत्न नहीं कर सकती थी. उसने सोचा चलो रात तक और इंतजार करते हैं. शायद अंगूर गिर जाये, मगर रात भी बीत गई और अंगूर का एक दाना तक नहीं गिरा. इसके बाद उसने सोच चलो अब नहीं मिलने वाला ये अंगूर का गुच्छा. इसके बाद वो वहां से उठकर जाने लगी और जाते-जाते उसने एक आखिरी बार उन अंगूरों की तरफ देखा और मन ही मन कहा अंगूर खट्टे हैं.


जब कोई मूर्ख किसी वस्तु को प्राप्त नहीं कर पाता तो वह उसे तुच्छ दृष्टि से देखने लगता है.