महर्षि वेदव्यास जी के द्वारा लिखा गया ग्रंथ महाभारत बहुत सी कहानियों और प्रसंगों को समेटे हुए हैं.
इनमें से हर एक प्रसंग अलग अलग कहानियों को समेटे हुए हैं. आप सभी को पता हैं की पांडव के पाँचों पुत्र आपस में प्रेम भाव से रहते थे. उनमे एक दूसरे के लिए असीम प्रेम, त्याग और सम्मान था, लेकिन क्या आप ये जानते हैं की भीम ने अपने ज्येष्ठ भाई युधिष्ठिर का हाथ अपने हाथों से जला दिया था?
तो कहानी तबकी हैं जब युधिष्ठिर दुर्योधन के साथ जुआ खेल रहे थे और और उन्होंने अपना पूरा राज्य दांव पर लगा दिया था. उसके बाद अपने पांचों भाइयों को भी जुए में हार गए. इसके बाद पांचाली द्रोपदी को भी हार गए. द्रोपदी का अपमान हुआ उसका चीरहरण हुआ. लेकिन किसी ने रोकने का प्रयास नहीं किया.
इन सबके बाद जब पांडव वनवास का दंड भोगने के लिए जाने वाले थें तभी श्री कृष्ण के कहने पर भीम ने युधिष्ठिर का हाथ जलती हुई अग्नि में डाल दिया.
दरसल इसके पीछे की वजह था भीम के द्वारा लिया गया उनका ही एक प्रण. जब युधिष्ठिर जुए में द्रोपदी को हार गए तब भीम ने भरी सभा में प्रण लिया था की जिन हाथों से आपने पांचाली को दांव पर लगाया हैं मैं उस हाथ को ही जला दूंगा और फिर बाद में भीम ने श्री कृष्ण के कहने पर ये काम किया.