महाभारत में आप सभी ने एकलव्य के बारे में जरूर सुना होगा की कैसे उसका अंगूठा कटा था? लेकिन क्या आप जानते हैं की उसकी मृत्यु कैसे हुई?
किसने और क्यों की उसका वध?
महाभारत में एकलव्य सबसे अच्छा और महान धनुर्धर न बन जाये इसलिए गुरु द्रोणाचार्य ने उसका अगूंठा गुरु दक्षिणा के रूप में मांग लिया था की वो फिर कभी भविष्य में धनुष न चला सके. लेकिन एकलव्य ने सिर्फ छार उंगलिओं से धनुष चलने की जो कला सिख लिए उसने तो कोहराम मचा दिया.
विष्णु पुराण और हरिवंश पुराण में उल्लिखित है कि निषाद वंश का राजा बनने के बाद एकलव्य ने जरासंध की सेना की तरफ से मथुरा पर आक्रमण कर यादव सेना का लगभग सफाया कर दिया था। यादव वंश में हाहाकर मचने के बाद जब कृष्ण ने दाहिने हाथ में महज चार अंगुलियों के सहारे धनुष बाण चलाते हुए एकलव्य को देखा तो उन्हें इस दृश्य पर विश्वास ही नहीं हुआ।
एकलव्य अकेले ही सैकड़ों यादव वंशी योद्धाओं को रोकने में सक्षम था। इसी युद्ध में कृष्ण ने छल से एकलव्य का वध किया था। उसका पुत्र केतुमान महाभारत युद्ध में भीम के हाथ से मारा गया था।
जब युद्ध के बाद सभी पांडव अपनी वीरता का बखान कर रहे थे तब कृष्ण ने अपने अर्जुन प्रेम की बात कबूली थी।
कृष्ण ने अर्जुन से स्पष्ट कहा था कि “तुम्हारे प्रेम में मैंने क्या-क्या नहीं किया है। तुम संसार के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कहलाओ इसके लिए मैंने द्रोणाचार्य का वध करवाया, महापराक्रमी कर्ण को कमजोर किया और न चाहते हुए भी तुम्हारी जानकारी के बिना भील पुत्र एकलव्य को भी वीरगति दी ताकि तुम्हारे रास्ते में कोई बाधा ना आए”।