हिन्दू पंचाग के अनुसार हर साल माघशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के ब्रह्मपुराण के अनुसार इसी दिन आज से 5 हजार साल पहले भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश दिया था।
। इस साल गीता जयंती 14 दिसंबर को मनाई जाएगी। इसको मोक्षदायनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। तो आइये जानते है कि हिन्दू धर्म के अनुसार क्या है गीता जयंती और इसका क्या महत्व है...
गीता जयंती का मानव जीवन में महत्व
आज से करीब 5 हजार साल पहले भगवान श्रीकृष्ण ने पार्थ अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया है। साथ ही कुरुक्षेत्र में अपने सामने अपने ही परिजनों को शत्रु के रूप में खड़े देख अर्जुन जब असमंजस और दुविधा में थे। तब भगवान ने उन्हें गीता के उपदेश दिए थे। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान ने अर्जुन को ये उपदेश माघशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन ही गीता का महान उपदेश दिया था। इसलिए हर साल इसी दिन को ही गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दू धर्म ने श्रीमद्भगवत गीता बहुत पवित्र किताब मानी जाती है। कहा जाता है इस किताब में भगवान ने मानव जीवन से जुड़े आपके सभी सवालों का जवाब दिया है। इसका सही से पाठ करने वाले लोगों को उनकी सभी दुविधाओं और समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
आपके जीवन में कई बार ऐसे पड़ाव आते है. जब आप घोर दुविधा और निराशा से घिर जाते है। ऐसे में श्रीमद्भगवत गीता का पाठ करने से आपको इन सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
श्रीमद्भवत गीता के 700 श्लोकों में छिपा है जीवन का सार
आपको बता दें कि श्रीमद्भगवत गीता में कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक है। जिनमें से 574 श्लोक स्वयं भगवान श्रीहरि विष्णु ने कहें है, 84 धनुर्धारी अर्जुन ने, 41 संजय ने और मात्र एक श्लोक धृतराष्ट्र ने कहें है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि पापी से पापी मनुष्य भी अगर अपनी श्रद्धा के साथ गीता का पाठ करता है। तो उसके सारे पापों से उसे मुक्ति मिल जाती है और ईश्वर की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
क्या कहता है गीता का सार?
श्रीमद्भगवत गीता सनातन हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र पुस्तक है. इसके अंदर ही मनुष्य को उसे सभी सवालों के जवाब मिल जाते है। स्वयं भगवान ने मनुष्य को उसके सभी दुविधाओं और दुखों के निवारण के सारे मार्ग इसी गीता में प्रशस्त किये है। आपको गीता सार के इन पहलुओं को समझकर अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। जो आपको हमेशा सही दिशा प्रदान करती है. साथ मन में उठने वाली भ्राँतियों को दूर भी करती है। तो आइये जानते है गीता सार के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु----
गीता के अनुसार आत्म अजर और अमर है. वो न तो मर सकती है, न जल सकती और न ही पानी से गल सकती है।
समस्त जीव-जंतु, चर-अचर और इस सृष्टि में मौजूद हर एक कण-कण में ईश्वर का वास है।
जन्म और मरण का बंधन सिर्फ शरीर का होता है, जबकि आत्म तो अजर और अमर है। वो एक समय के बाद परमात्मा में विलीन हो जाती है।
जब -जब धरती पर पाप बढ़ता और दुष्टों को उदय होता है। धर्म की हानि और अधर्म का वर्चस्व होता है। तब-तब भगवान स्वयं इस धरती पर अवतरित होते है।
भगवान अपने भक्तों और सज्जन लोगों की रक्षा करते है, जबकि दुष्टों का वध करते है।