एक नगर में एक राजा रहता था उसे नए कपडे पहनने का बहुत शौक था. वो अपने राजकोष का सबसे ज्यादा ख़र्च अपने कपड़ों पर ही करता था.
एक दिन उस के राज्य में दो ठग कपड़ा व्यापारी बनकर आये, और उन्होंने राजा से कहा की उनके पास एक ऐसा वस्त्र हैं जिसे सिर्फ वही देख या पहन सकता हैं जो सत्यवादी और धर्मपरायण हो. जिसने कभी झूठ न बोला हो. राजा ने कहा की एक राजा से ज्यादा सत्यवादी और धर्मपरायण कौन हो सकता हैं? सभी चापलूस मंत्रियों ने उसे और भी चढ़ा दिया. इसके बाद उन ठगों ने एक शर्त राखी की अगर जो भी इंसान इन कपड़ों को नहीं देख पायेगा उसे महाराज स्वयं मृत्यु दंड देंगे. राजा ने भी हामी भर दी. इसके बाद दोनों ठगों ने झूठ मुठ का कपड़ा निकालने की का नाटक करने लगे, कुछ देर बाद उन्होंने अपना हाथ हवा में ऐसा लहराया की मानों कपड़ा सच मच का हो. सारे दरबारी में से किसी को भी कोई कपड़ा नहीं दिखा ख़ुद राजा को भी कपड़ा दिखाई नहीं दिया. किन्तु राजा ने झूठ में ही अपनी श्रेष्ठा सिध्द करने के लिए कहा वह क्या कपड़ा हैं? उसके पीछे पीछे सारे मंत्रियों ने भी वाह वाह करना शुरू कर दिया. दोनों ठगों ने राजा से एक लाख स्वर्ण मुद्रायें लेकर वहां से चले गए और राजा की मूर्खता और अहंकार की वजह से वहां की जनता ने विद्रोह कर दी और राजा को मार के जंगल भेज दिया अब सभी लोग आराम से रहने लगे.
इंसान अपनी समझदारी और बुद्धि का इस्तेमाल जिस दिन से करना बंद कर देता हैं. उसी दिन से उसका बुरा वक्त शुरू हो जाता हैं. जैसा उस राजा के साथ हुआ. वो अपने स्वार्थ में अँधा हो गया कि उसने जनता की कोई सुध नहीं ली. जिसके कारण ही उसके सच्चे हितैषी उससे दूर होते चले गये और अंत में उससे दो मूर्खों ने ठग लिया.
इसलिए सबसे जरुरी हैं की आप अपनी पूरी समझदारी, बुद्धि का हर तरीके से इस्तेमाल करके ही किसी की बातों पर विश्वास करें. नहीं तो आप भी उस राजा की तरह चकमा खा सकते हैं. जैसा उसके साथ अंत में हुआ वैसा ही कुछ आपके साथ भी हो सकता हैं.
सीख: हमें कभी भी चापलूसों और दुष्ट लोगों की बात नहीं माननी चाहिए, और अंहकार में आकर कोई फैसला नहीं लेना चाहिए.