एक गाँव में दुखीराम नाम का एक लड़का रहता हैं. उसके माता पिता की मृत्यु हो जाती है. इसलिए एक दिन वो अपने मामा के घर जाने का निश्चय करता है.
मामा के घर पहुँचने पर उसके मामा उसे रखने के लिए तैयार हो जाते है, लेकिन वो बहुत दुष्ट स्वभव के होते हैं. उससे कहते है की हम बहुत गरीब है इसलिए केवल दो महीने में एक बार भी खाना कहते हैं और हम लोगों ने कल ही खाना खाया है इसलिए अब खाना दो महीने बाद ही बनेगा.
दुखीराम पहले कुछ सोच में पड़ जाता है फिर हामी में सर हिला देता है. आधी रात को उसने देखा की उसका मामा खीर बना कर अकेले खाने की योजना बना रहा हैं. उसने अपना दिमाग चलाया और अपने मामा से बोला की एक चोर घर में घुसा था। चोर की बात सुनकर मामा उसके पीछे लाठी लेकर बाहर चला गया. इसके बाद उसने पूरी खीर अकेले चट कर दी. सुबह मामा ने उसकी शिकयत राजा से कर दी की उसने चोरी से खीर खा ली. राजा ने दुखीराम को बुलाया और उसे सज़ा देने की बात की. तभी दुखीराम ने कहा कि, " महाराज जब मैं मामा के घर आया था तभी इन्होंने कहा था की ये बहुत गरीब है और दो महीने में एक बार खाना कहते हैं और दो दिन पहले ही भोजन किया था. फिर कौन सी खीर?" राजा को बात समझ में आ गयी और उसने दुखीराम के साथ इन्साफ किया और मामा को झूठ बोलने की सज़ा दी.
कहानी से सीख:
हम अपने दिमाग और सूझ बूझ के साथ हर परिस्थिति का हल निकाल सकते हैं.