जानिए आखिर क्या है दशहरा का महत्व? क्यों होती है हिन्दू धर्म शस्त्रों को पूजा?

Dussehra 2021: Importance And Mythological stories Behind This Occasion

शारदीय नवरात्रि के नव दिनों के बाद दशवें दिन को विजय दशमी के रूप में मनाया जाता हैं. इस दिन हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार लोग विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. 

विजयदशमी का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. लोग का बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, लेकिन एक न एक दिन वो अच्छाई के हाथों पराजित हो ही जाती है. दशहरा हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा चर्चित और बहुत ही फेमस त्योहारों में से एक हैं. ये दिवाली के ठीक पहले आता है. इस दिन लोग रावण जोकि बुराई का प्रतीक माना जाता हैं, उसके पुतले का दहन हर साल लोग करते हैं. तो आइये जानते हैं कि दशहरा का महत्व क्या है और ये क्यों मनाया जाता हैं?

दशहरा मनाने की पौराणिक कारण 

हिन्दू धर्म के अनुसार दशहरा मनाने के तीन पौराणिक कारण माने जाते हैं. इन्हीं के अनुसार ही हिन्दू धर्म में इस पवित्र त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. दशहरा के दिन हर कोई अपने अंदर की बुराइयों का त्याग कर देता हैं. साथ ही इस दिन कई सारे हिन्दू परिवारों में शस्त्र पूजन भी किया जाता हैं. 

माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था 

सतयुग में महिषासुर नाम के एक असुर का आतंक खूब बढ़ गया था. जिसके अत्याचारों से देवता से लेकर मावन तक हर कोई परेशान था. ऐसे में सभी देवी-देवताओं ने मिलकर माँ दुर्गा का आवाहन किया. जिसके बाद माँ दुर्गा ने अवतार लेकर उस अत्याचारी असुर महिषासुर का वध करके तीनों लोकों को उसके पाप और अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी. इसके बाद माँ दुर्गा को महिषासुरमर्दिनि के नाम से भी जाना-जाने लगा. जिसका अर्थ होता है, महिषासुर को मारने वाली. 

dussehra 2021

भगवान राम ने लंकापति रावण को हराया था 

दशहरा मनाने की सबसे पहली बड़ी वजह ये मानी जाती है कि इस दिन भगवान श्री राम ने लंका के राजा रावण को युद्ध में परास्त करके उस पर विजय पायी थी. रामायण धर्म ग्रंथ के अनुसार अयोध्या के राजा राम ने इस पृथ्वी लोक को रावण के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी. इस लिए दशहरे को अच्छाई के विजय के रूप में मनाया जाता हैं. इसलिए हर साल दस सर वाले रावण के पुतले को जलाकर लोग इस पर्व को धूम-धाम और आनंद के साथ मानाते हैं. 

महाभारत की कथा अनुसार 

दशहरे को विजय दशमी के रूप में माने एक और बड़ा कारण महाभारत धर्म ग्रंथ को माना जाता हैं क्योंकि महाभारत के अनुसार कौरवों और पांडवों के बीच चल रहे 18 दिन के युद्ध के आखिर दिन पांडवों ने विजय हासिल की थी. इसलिए भी इस दिन का महत्व काफी ज्यादा बढ़ जाता हैं. 

शस्त्र पूजन 

दशहरे वाले दिन ही कई सारे हिन्दू परिवारों में शस्त्रों को पूजा भी की जाती हैं. खास करके जो लोग क्षत्रिय कुल से संबंधित रखते हैं. इस दिन लोग अपने कुल देवी-कुल देवता की पूजा करते हैं. इसके बाद घर में रखें हुए हर एक शस्त्रों की विधि-विधान से पूजा करते हैं. इस पूरी विधि को शस्त्र पूजन विधि कहा जाता है. शस्त्र पूजन करने से क्षत्रिय कुल के लोगों पर माँ काली की असीम कृपा होती है. वहीं ब्राह्मण लोग माँ सरस्वती की आराधन करते हैं. जबकि वैश्य लोग माँ लक्ष्मी की. दशहरे वाले दिन ही रामलीला का भी समापन होता है. जिसके बाद रावण के साथ-साथ मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले को जला कर रावण दहन किया जाता हैं.