करवा चौथ के व्रत का अपना एक खास महत्व होता हैं. हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार अपने पति की लम्बी आयु के लिए हर सुहागन इस व्रत को धारण करती है.
करवा चौथ व्रत की पूरी विधि और तरीका
करवा चौथ वाले दिन आपको प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद से अपने सभी इष्ट देवी-देवताओं की पूजा उपासना करने के बाद ही निर्जल व्रत रखा जाता है. पूरे दिन आपको बिना पानी के चाँद के निकलने का इंतजार करना होता है. चाँद निकल आने के बाद ही आप उसको जल अर्पण करके ही अपना व्रत खोल सकती है. इसके अलावा आपको शाम को भगवान शिव, पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की पूजा करनी होती है. इनकी पूजा के लिए आपको रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य एवं श्रृंगार के सामान आदि का प्रयोग करना चाहिए.
इस साल क्या है करवा चौथ का शुभमुहूर्त?
इस साल करवा चौथ का ये त्योहार 24 अक्टूबर रविवार को पड़ रहा है. इसी दिन ही सभी सुहागिने इस व्रत रखती है. रविवार के पूरे दिन आपको बिना कुछ खाये-पीये इस व्रत का पालन करना होगा. इसके बाद शाम को जब चाँद निकल जाये और उसके दर्शन होने के बाद ही आप इस व्रत को पानी पी कर खत्म कर सकती हैं.
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता हैं. इस साल ये त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जायेगा. करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, करवा यानी मिट्टी का बर्तन और चौथ मतलब चतुर्थी. हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ का पहला व्रत माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था. इस दिन मिट्टी के बर्तन से पूजा करने को महत्व दिया जाता है. साथ ही सुहागन रात में चंद्रदेव को जल अर्पण करके ही अपना उपवास खोलती हैं.
जानिए कब और कौन रख सकता है करवा चौथ?
करवा चौथ का व्रत आमतौर नवविवाहित औरतें और सुहागने रखती हैं. नवविवाहित महिलाएं पहले साल से ही अपने पति की लम्बी उम्र के लिए ये व्रत रखना शुरू करती है. इस दिन भगवान शिव की सपरिवार पूजा का विधान हैं. साथ इस दिन चंद्रदेव की पूजा को महत्व दिया जाता है. मान्यताओं की अनुसार पति की लम्बी उम्र, अच्छी सेहत और अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद पाने के लिए ये व्रत किया जाता है. नवविवाहित और सुहागिनों के अलावा कुंवारी लड़कियां भी अच्छा वर पाने के लिए इस व्रत को रख सकती हैं.