एक तालाब में टिंकू नामक कछुआ (Tortoise) रहा करता था. वह कछुआ बहुत बातूनी था. दूसरों से बात करते समय बीच-बीच में टोका-टोकी करना उसकी आदत थी.
एक दिन दो हंस (Swan) उस तालाब में उतरे. उन हंसों का नाम मिंकू और पिंकू था. उन्हें तालाब के आस-पास का वातावरण बहुत अच्छा लगा. उसके बाद से वे प्रतिदिन वहाँ आने लगे. टिंकू कछुआ उन्हें प्रतिदिन देखता. एक दिन उसने उन दोनों हंसों से बात की. वे उसे दोनों भले और सज्जन लगे. शीघ्र ही उनमें गाढ़ी मित्रता हो गई.
हंस रोज़ तालाब में आते और कछुए से मिलते. फिर तीनों बहुत देर तक ना-ना प्रकार की बातें करते. हालांकि बातों के बीच कछुए की टोका-टाका ज़ारी रहती. किंतु सज्जन हंस इसका बुरा नहीं मानते. एक दिन कछुएं उनसे कहा, " मित्रों मेरी दिल इच्छा है की मैं भी तुम्हारी तरह उड़ उड़ कर दुनिया देखूं पर मेरे ऐसी किस्मत कहाँ?"
ये कहकर वो उदास हो गया दोनों हंसों को बहुत बुरा की उनके प्रिये मित्र का ये सपना अधूरा रह गया. तभी हंसों के दिमाग में एक विचार आता हैं और वो उस कछुए से कहते हैं मित्र आप एक काम करना हम आपके लिए एक लकड़ी लेकर आएंगे कल और आप उसे अपने बीच में से अपने मुँह से पकड़ लेना और फिर हम दोनों एक एक सिरा पकड़ कर तुम्हे उड़ाकर ले चलेंगे.
अगले दिन तीनों ने प्लान के तहत उड़ान भरी, और दूर आसमान में उड़ते हुए घूमने लगे.
थोड़ी देर बाद कछुए ने कुछ बोलने के लिए अपना मुहं खोल दिया और वो आसमन से सीधा नीचे जा गिरा और वो मर गया.
कहानी से सीख:
मौके की नज़ाकत को देखकर ही मुँह खोलना चाहिए.