खाने की चोरी और जादुई कटोरा

जादुई कटोरा

एक गांव में हीरा नाम का एक किसान अपने दो बच्चों और पत्नी के साथ रहता था. वो किसान भले ही गरीब था लेकिन उसके अंदर परोपकार की भावना थी, जब भी कोई भूखा आदमी उसके घर आता वो उसे अपने हिस्से का खाना खिला देते और खुद भूखे भी रह जाते. 

एक दिन उसके घर एक सन्यासी आये ये बहुत दिनों से भूखे थे, उन्होंने किसान से खाने को कुछ माँगा. 

किसान की पत्नी ने दलिया बनाया था, वो दलिया उसने सन्यासी की खाने के लिए दे दिया. सन्यासी बहुत खुश हुआ और किसान को एक जादुई कटोरा दे दिया साथ ही उसने बताया की इस कटोरे का उपयोग मैं नहीं कर सकता क्योंकि मैं एक सन्यासी हूँ लेकिन आप जरूर कर सकते है और इससे आपको हर दिन वहीँ भोजन प्राप्त होगा जो राजा के राजमहल में बनता हैं. 

सन्यासी के कहे अनुसार ही उस कटोरे से अब रोज किसान को शाही पकवान मिलने लगे, वो उसे खुद भी खाता और अपने आने वाले मेहमानों को भी खिलाता. इधर धीरे धीरे राजा के महल में खाना कम होने लगा इस बात से उनका रसोइया परेशान हो गया और उसने राजा को सारी बात बता दी. राजा को विश्वास नहीं हुआ और उसने स्वंय जाकर देखा तो हैरान रह गया, उसने राज्य में घोषणा कर दी जो भी भोजन चुराने वाले की जानकारी देगा उसे इनाम मिलेगा. इनाम के लालच में कालू किसान ने राजा को हीरा के घर के बारे में बता दिया. राजा ने भेष बदल कर उस किसान के घर रात्रि भोजन के समय गए, वहां उन्होंने देखा की राज शाही के पकवान किसान के घर में थे. राजा ने उसे चोरी के इलज़ाम में कैद करने का आदेश दिया, तभी किसान ने सारी बात राजा को बता दी. राजा ने स्वंय अपनी आँखों से ये चमत्कार देख कर बहुत खुश हुए और उस किसान की उदारता की कहानी सुनकर उसे राज्य की कुछ ज़मीन खेती करने के लिए दे दिया साथ ही साथ उसने किसान से वादा किया की अब से राज भवन में जो भी पकवान बनेगा उसका आधा हिस्सा आप के परिवार को हार रोज मिलेगा. 

अब किसान बहुत खुश था और उस गाँव में आराम से रहने लगा.