एक गाँव में एक मिंकू नाम का मुर्गा रहता था. वह रोज़ सुबह आवाज़ देकर गाँव वालों को जगाया करता था. एक दिन एक शियार कहीं से घूमता हुआ गाँव में आ गया. जब उसने मुर्गे को देखा, तो उसकी लार टपकने लगी.
वह मुर्गे को दबोचने के लिए उसके पास पहुँचा और बोला, “मित्र! मैंने तुम्हारी आवाज़ सुनकर तुम्हारे पास आया हूँ. तुम्हारी आवाज़ बहुत ही सुरीली है.”
शियार की बात सुनकर मुर्गा ख़ुशी से फूला नहीं समाया और ज़ोर-ज़ोर से “कूक-डू-कू” करने लगा.
इधर अवसर पाकर शियार ने मुर्गे को अपने मुँह में दबा लिया और जंगल की ओर भागने लगा.
जंगल की ओर भागते समय शियार को गाँव वालों ने देख लिया और वे लाठी लेकर उसे मारने के लिए दौड़े. शियार डर के मारे और तेजी से दौड़ने लगा. तब मुर्गे को शियार के चंगुल से बचकर निकलने का एक उपाय सूझा और वह शियार से बोला, “देखो, ये गाँव वाले मेरी वजह से तुम्हारा पीछा कर रहे हैं. उनसे कहो की तुम मेरे दोस्त हो और मेरे साथ खेल रहे हो मुझे खाओगे नहीं. वे तुम्हारा पीछा करना छोड़ देंगे.”
शियार मुर्गे की बातों में आ गया और बोलने के लिए अपना मुँह खोल दिया. लेकिन जैसे ही उसने मुँह खोला, मुर्गा उड़ गया और गाँव वालों के पास चला गया.
शिक्षा - संकट के समय भी बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए.