एक गाँव में भोलानाथ नाम का एक एक किसान रहता था, वो अपने नाम की ही तरह बहुत ही सीधा और भोला था. परोपकार और दूसरों की मदद की भावना उसके अंदर खूब थी.
गाँव वाले उसकी उदारता से बहुत प्रेरित थे साथ ही साथ उसके भोलेपन के कारण उसे सावधान रहने की नसीहत भी देते थे.
एक दिन भोलानाथ एक जंगल से गुजर रहा था की उसे एक मगरमच्छ दिखा. मगरमच्छ को यूँ अचानक देख कर वो डर गया और भागने लगा. तभी मगरमच्छ ने कहा आप डरिये नहीं मैंआप को नहीं खाऊंगा आप मेरे एक सहायता कर दीजिये, मैं चलते चलते थक गया हूँ आप मुझे उस पास वाली नदी में अगर छोड़ देंगे तो आप बच जायेंगे.
भोलानाथ उसकी बातों में आ गया और उसे एक बोरे में भरकर उस नदी पर पहुँच गया. जैसे ही उसने मगरमच्छ को नदी में छोड़ना चाहा उसने उस पर हमला कर दिया और उसे खाने लगा. ये देख भोला ने कहा, " अरे तुम तो बहुत ही स्वर्थी और एहसानफरामोश हो मैंने तुम्हारी मदद की और तुम मुझे ही खा रहे हो.
मगरमच्छ उसकी बात मानने को तैयार नहीं था, तभी वहां एक लोमड़ी आ गई संयोग वश लोमड़ी भोला से परिचित थी क्योंकि एक बार भोला ने उसकी मदद की थी जब गाँव के कुत्ते उसे मारने वाले थे. भोला को देखते ही लोमड़ी को उस दिन का याद हो गया और उसने उसे बचने का फैसला किया.
वो नदी के पास आकर बोली, अरे मगरमच्छ जी क्या कर रहे है? मगरमच्छ सम्मान से सम्बोधन सुनकर बहुत खुश हुआ और पूरा किस्सा सुना दिया.
लोमड़ी फिर बोली बात तो आपकी बहुत सही है की हाथ आये शिकार को जाने नहीं देना चाहिए. लेकिन एक बात मेरे समझ में नहीं आ रही है की आप जैसा इतना मज़बूत और पहलवान मगरमच्छ इस भोले के साथ कैसे आ सकता हैं. इतना सुनते ही मगरमच्छ ने बोला, " मैं अभी बताता हूँ, और बोरे में घुस गया और मौका पाते ही लोमड़ी ने उसे बंद कर दिया और इस तरह से भोला की जान बच गयी.
कहानी से सीख:
हमें किसी की भी सहायत करने से पहले इस बात के बारे में अवश्य सोच लेना चाहिए की वो व्यक्ति सही में सहायता करने योग्य हैं या नहीं.