एक गाँव में सेठ और उसकी पत्नी रहते थे. उनकी कोई संतान नहीं थीं, उनके पास एक पालतू नेवला था जो उनके साथ रहता था. सेठ की पत्नी उस नेवले को संतान की तरह ही प्यार करती थीं. इसी बीच सेठ को पुत्र की प्राप्ति हुई.
अब उनका परिवार पूरा हो चुका था. सेठ ने यह आशंका जताई कि कहीं नेवला उनके पुत्र को कोई नुक़सान ना पहुँचाए तो क्या उसे बाहर निकाल देना चाहिए, परंतु उसकी पत्नी ने मना कर दिया. सेठ का पुत्र और नेवला साथ साथ खेलते थे. नेवला अपने भाई से बहुत प्रेम करता था. एक दिन, जब सेठ काम पर गया था, तो उसकी पत्नी ने बच्चे को पालने में छोड़ दिया और पानी का भरने के लिए चली गयी.
जब वह बाहर गई, उसने नेवले को बच्चे की देखभाल करने के लिए कहा. मालकिन के जाने के बाद घर में एक सांप आ गया. वह सांप बच्चे की ओर बढ़ रहा था, जैसे ही नेवले ने सांप को देखा उसने उस पर आक्रमण कर दिया और उसे मार दिया.
इसी बीच सेठ की पत्नी पानी लेकर घर लौटी नेवले के मुंह पर रक्त देखकर, वह डर गई. उसने सोचा कि नेवले ने बच्चे को मार दिया है. बिना कुछ सोचे समझे उसने ने नेवले पर पानी के बर्तन को गिरा दिया और वह मर गया.
बाद में वह अंदर गई और बच्चा खुशी से पालने में खेलता मिला, उसके पास ही खून से लथपथ सांप के टुकड़े हुए पड़े थे, तो मालकिन को एहसास हुआ कि उसने यह क्या किया. पुत्र समान नेवले को बिना सोचे-समझे मार दिया जबकि उसने तो बच्चे की रक्षा की थी.
शिक्षा- हमें कभी भी बिना सोचे विचारे कोई काम नहीं करना चाहिए.