किसी गांव में एक सेठ रहता था. एक दिन वो व्यापार करने गया जहां उसने एक गाय उपहार में मिला. वो ख़ुशी ख़ुशी उसको लेकर अपने घर जा रहा था. रास्ता लंबा और सुनसान था.
आगे जाने पर रास्ते में उसको ठगों ने देखा और सोचा कि क्यों न इससे यह गाय ले लिया जाये. दोनों ठगों ने सेठ के साथ चल रहे गाय को देखकर उसे हथियाने का प्लान बनाया.
जैसे ही सेठ आगे गया एक ठग ने उसे रोककर कहा, “अरे सेठजी जी यह क्या अनर्थ कर रहे हैं? आप अपने साथ में क्या उठा कर ले जा रहे हैं? आप तो सेठ हैं हैं और सेठ होकर कुत्ते को घर लेकर जा रहे हैं? "
सेठ ने गुस्से में उसे झिड़कते हुए कहा, “पागल है क्या? या अंधा हो गया है? दिखाई नहीं देता यह कुत्ता नहीं गाय है.”
पहले ठग ने फिर कहा, “खैर मेरा काम आपको बताना था. अगर आपको कुत्ता ही अपने घर पर ले जाना है तो मुझे क्या? आप जानें और आपका काम.”
थोड़ी दूर चलने के बाद सेठ को दूसरा ठग मिला. उसने सेठ को रोका और कहा, “ जी आप को क्या हो गया है आपको? सेठ होकर बकरी को अपने घर ले जा रहे हैं? उच्चकुल के लोगों को क्या यह शोभा देता है?”
सेठ उसे भी झिड़क कर आगे बढ़ गया. सेठ अब घबरा गया. उसको लगा कि ये ज़रूर कोई मायावी जीव है, जो बार बार रूप बदल रहा है, वरना इतने सारे लोग झूठ क्यों बोलेंगे?
थोड़ी दूर जाकर, उसने गाय को वही बाँध कर छोड़ दिया और आगे बढ़ गया. इधर दोनों ठगों ने उस गाय को हथिया लिया और उस सेठ की मूर्खता पर उनको हंसी भी आई.
शिक्षा- किसी झूठ को बार-बार बोलने से वह सच की तरह लगने लगता है, इसलिए अपने दिमाग से काम लें और अपने आप पर विश्वास करें