मनोज बाजपेयी को मिला तीसरा राष्ट्रीय पुरस्कार, संघर्ष के दिनों में बना लिया था आत्महत्या करने का मन,
- Anurag Shukla |
- 28 Oct 2021
मनोज बाजपेयी इंडस्ट्री में जाने-माने और सफल एक्टर्स में से एक हैं. उन्होंने साल 1994 में गोविन्द निहलानी की फिल्म द्रोहकाल में 1 मिनट के छोटे रोल से अपना फ़िल्मी करियर शुरू किया था.
इसके मनोज बाजपेयी ने बैंडिट क्वीन, सत्या, शूल, फ़िज़ा जैसी सुपरहिट फिल्मों में देखा गया. लेकिन मनोज बाजपेयी को सबसे जयादा लोकप्रियता अमेज़न प्राइम की वेबसीरीज द फैमिली मैन से मिली.
हाल ही में आयोजित 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में मनोज बाजपेयी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के ख़िताब से नवाजा गया है. उन्हें ये अवॉर्ड उनकी फिल्म भोंसले में दमदार अभिनय के लिए दिया गया हैं. आज मनोज बाजपेयी इंडस्ट्री में सफलता के शिखर पर पहुँच गए हैं. लेकिन एक दौर ये भी था जब इन्होंने आत्महत्या करने का मन बना लिया था. तो चलिए जानते हैं मनोज बाजपेयी के संघर्ष के दिनों से जुड़ा हुआ ये किस्सा....
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तीसरी बार मिला हैं सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार
मनोज बाजपेयी को इससे पहले भी दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया हैं. साल 1998 में बनी फिल्म सत्या के लिए इन्हें सपोर्टिंग रोल के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड दिया गया था. इसके अलावा मनोज बाजपेयी को फिल्म पिंजर के लिए इन्हें साल 2005 में भी नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.
एनएसडी से चार बार रिजेक्ट ये थे मनोज
मनोज बाजपेयी उन गिने-चुने अभिनेताओं में से हैं. जिन्होंने अपने दम पर इंडस्ट्री में इतना बड़ा मुकाम हासिल किया है. उन्होंने कई सारी फिल्मों छोटे-बड़े हर एक किरदार को निभाया हैं. लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि मनोज उन एक्टर्स में से है. जिन्हें एनएसडी में एडमिशन नहीं मिला था. जब मनोज दिल्ली आये तो उन्हें एनएसडी के बारे में पता चला और उन्होंने इसके लिए अप्लाई करना शुरू कर दिया. एनएसडी उस समय एक्टिंग के लिए सबसे ज्यादा जानी-मानी संस्थाओं में सबसे पहले आती थी. मगर मनोज का सिलेक्शन एनएसडी में नहीं हुआ. उन्हें लगातार 4 बार एनएसडी के इंटरव्यू से रिजेक्ट कर दिया गया था.
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चौथी बार बना लिया था आत्महत्या करने का मन
मनोज बाजपेयी जब चौथी बार एनएसडी के इंटरव्यू में पहुंचे तो इन्हें ये कहा गया कि अब आपकी उम्र इतनी होगी है कि आपको बतौर स्टूडेंट एडमिशन नहीं मिल सकता. लेकिन आपके अनुभव को देखकर आपको बतौर प्रोफेसर एंट्री जरूर मिल सकती है. इसके बाद मनोज पूरी तरह टूट चुके थे. साथ की वो इतने निराश हो गए थे कि उन्होंने आत्महत्या करने का मन बना लिया था.
शूल
फिल्म शूल में ईमानदार पुलिस इंस्पेक्टर के रोल में मनोज ने काफी बेहतरीन एक्टिंग की थी. शूल उस समय के सफल फिल्मों में से एक रही थी.
पिंजर
देश के बटवारे पर बनी फिल्म पिंजर में भी मनोज को दमदार रोल में देखा गया. जिसके लिए इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
गैंग ऑफ़ वास्सेपुर
अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग ऑफ़ वास्सेपुर में इन्हें लोगों ने सरदार खान के रोल में काफी पसंद किया था. मनोज को सबसे लोकप्रियता दिलाने का श्रेय काफी हद तक इस फिल्म को जाता है.