हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार थे।
इनका जन्म का जन्म 17 अगस्त 1916 ई. को आगरा (उ.प्र.) में हुआ था. इनके पिता का नाम राजाराम नागर था.
इन्होंने सिर्फ़ इंटरमीडिएट तक ही शिक्षा ली थी. अमृतलाल नागर ने अपने साहित्यकी कृति में सहज, सरल भाषा का उपयोग किया है। मुहावरों, लोकोक्तियों, विदेशी तथा देशज शब्दों का प्रयोग भी किया गया है. भावात्मक, वर्णनात्मक, शब्द चित्रात्मक शैली का प्रयोग इनकी रचनाओं में हुआ है.
सन 1990 में इनका निधन हो गया था.
रचनाएँ
उपन्यास : महाकाल, बूँद और समुद्र, शतरंज के मोहरे, सुहाग के नुपूर, अमृत और विष, सात घूँघट वाला मुखड़ा , एकदा नैमिषारण्ये, मानस का हंस , नाच्यौ बहुत गोपाल (1978), खंजन नयन (1981), बिखरे तिनके, अग्निगर्भा, करवट, पीढ़ियाँ.
कहानी संग्रह : वाटिका, अवशेष , तुलाराम शास्त्री , आदमी, नही! नही!, पाँचवा दस्ता, एक दिल हजार दास्ताँ, एटम बम , पीपल की परी , कालदंड की चोरी , मेरी प्रिय कहानियाँ, पाँचवा दस्ता और सात कहानियाँ , भारत पुत्र नौरंगीलाल, सिकंदर हार गया, एक दिल हजार अफसाने.
नाटक : युगावतार, बात की बात, चंदन वन, चक्कसरदार सीढ़ियाँ और अँधेरा, उतार चढ़ाव, नुक्कड़ पर, चढ़त न दूजो रंग
व्यंग्य : नवाबी मसनद, सेठ बाँकेमल, कृपया दाएँ चलिए , हम फिदाये लखनऊ, मेरी श्रेष्ठ व्यंग्य रचनाएँ , चकल्लस : उपलब्ध स्फुट हास्यँ-व्यंग्य रचनाओं का संकलन।
संस्मरण : 'गदर के फूल', 'ये कोठेवालियां', 'जिनके साथ जिया।'
पुरस्कार
‘बूँद और समुद्र’ पर काशी नागरी प्रचारिणी सभा का विक्रम संवत 2015 से 2018 तक का बटुक प्रसाद पुरस्का्र एवं सुधाकर पदक,
‘सुहाग के नूपुर’ पर उत्तर प्रदेश शासन का वर्ष 1962-63 का प्रेमचंद पुरस्कार,