एक गाँव में एक दूध वाला रहता था. वो बहुत ही बेईमान और लालची थी. वो गाँव दूध बेचकर पैसे कमाता था.
लेकिन वो अपने दूध में खूब ज्यादा पानी मिलता था. गाँव वाले काफी परेशान हो गए थे. लेकिन उनके पास कोई और चारा नहीं था क्योंकि उनके गाँव में एक ही दूध वाला था.
एक दिन उसे दूसरे गाँव से दूध के लिए बहुत बड़ा बनिया मिला जिसे अगले दिन खूब सारा दूध चाहिए था. चूँकि बनिया उस गाँव का नहीं था इसलिए उसे उसके बारे में पता नहीं था की वो दूध पानी मिलता हैं. बनिए के घर वो पानी मिला दूध लेकर अगले दिन चला गया. बनिया इन सब बातों से अनजान उस दूध के बदले उसे उसकी पूरी कीमत चूका दी. थोड़ी देर बाद उसने देखा की उसके दूध में दूध कम और पानी ज्यादा था. लेकिन अब तक बहुत देर हो चूका था. दूध वाला भी पैसे लेकर अपने गाँव की तरफ चला गया था.
रास्ते में दूध वाले को एक तालाब दिखा और उसने सोचा क्यों यहीं पर विश्राम कर लूँ फिर चलूँगा. बहुत तेज़ धूप थी इसलिए उसे उसकी छाया में जल्दी से नींद आ गई.
जब उसकी नींद खुली तो उसने देखा उसके पैसों वाली पोटली उसके पास से गायब थी. वो बहुत परेशान हो गया, इधर उधर बहुत ढूंढा लेकिन उसे कहीं न मिला. तभी उसने देखा की पेड़ पर बैठे बंदर के पास उसकी पोटली हैं. उसने बंदर से उसे लेने की कोशिश की, लेकिन सब बेकार रही. कुछ ही देर बाद उसने देखा की बंदर ने उसकी पोटली खोल के उसमें से पैसे निकालकर पानी में फेंकने लगा. कुछ ही देर में उसने सरे पैसे पानी की तरफ उछाल दिए. कुछ पैसे नदी के किनारे गिरे और बाकि पानी में. दूध वाले ने उन्हें उठकर दुखी मन से घर चला गया और कहता रहा की दूध का दूध और पानी का पानी हो गया.