नामवर सिंह ने कहा है "दिनकरजी अपने युग के सचमुच सूर्य थे." हिंदी साहित्य का एक ऐसा लेखक, कवि जिसे राष्ट्रकवि के नाम से नवाज़ा गया हैं.
रामधारी सिंह दिनकर हिंदी जगत के वो निर्भीक कवि और लेखक रहे है जिनकी लेखनी ने देश के शत्रुओं के साथ साथ देश के प्रधानमंत्री तक पर चले हैं. 1962 के युद्ध हार के दौरान जो क्रोध इनकी कवितों में दिखाई देता हैं वो तो देखते ही बनता हैं. इन्होंने उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भैसा तक कह दिया था.
रामधारी सिंह 'दिनकर' हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं.
'दिनकर' जी का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया गाँव में हुआ था.
पटना विश्वविद्यालय से इतिहास राजनीति विज्ञान में बीए किया.
उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था.
बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वे एक विद्यालय में अध्यापक हो गये.
प्रमुख कृतियाँ
- धूप-छाँह (1947)
- रश्मिरथी (1952)
- दिल्ली (1954)
- नीम के पत्ते (1954)
- नील कुसुम (1955)
- सूरज का ब्याह (1955)
सम्मान
- 1919 में भारत सरकार ने रामधारी सिंह दिनकर की स्मृति में डाक टिकट जारी किया
- भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें 1959 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया
- 1968 में राजस्थान विद्यापीठ ने उन्हें साहित्य-चूड़ामणि से सम्मानित किया
- वर्ष 1972 में काव्य रचना उर्वशी के लिये उन्हें ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया
रामधारी सिंह 'दिनकर का निधन 24 अप्रैल 1974 हो गया.