हिंदी साहित्य में पहली बार तिलिस्म और मायावी चमत्कारों से भरे उपन्यास के रचयिता का ख़िताब सिर्फ़ और सिर्फ़ बाबू देवकी नंदन खत्री जी को ही प्राप्त हैं.
हिंदी में पहली बार उन्होंने तिलिस्म, अय्यार जादुई और रोमंचक उपन्यास इन्होने ने लिखा. चंद्रकांता या चंद्रकांता संतति इनकी एक कालजयी रचना हैं. चंद्रकांत उपन्यास के ऊपर सीरियल का निर्माण भी इसी नाम से हुआ हैं. इस उपन्यास पर समय समय पर सीरियल बनते रहें हैं.
देवकीनन्दन खत्री जी का जन्म 18 जून 1861 (आषाढ़ कृष्णपक्ष सप्तमी संवत् 1918) को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के पूसा में हुआ था।
उन्होंने वाराणसी में 'लहरी प्रेस' ना से एक प्रिंटिंस प्रेस की स्थापना की और 1900 में हिन्दी मासिक 'सुदर्शन' का प्रकाशन आरम्भ किया।
मुख्य रचनाएँ
- चंद्रकांता,
- चंद्रकांता संतति,
- काजर की कोठरी,
- नरेंद्र-मोहिनी,
- कुसुम कुमारी,
- वीरेंद्र वीर,
- गुप्त गोदना,
- कटोरा भर, भूतनाथ
- भूतनाथ (अपूर्ण)
निधन: 52 वर्ष की अवस्था में ही काशी में 1 अगस्त, 1913