यशपाल (3 दिसम्बर 1903 - 26 दिसम्बर 1976)
यशपाल न सिर्फ़ हिंदी साहित्य के एक सफल और जाने माने लेखक थे बल्कि वो एक राजनीतिक विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता भी थे. अपने साहित्यिक जीवन में उन्होंने बहुत सी निबंध, कहानियां, और उपन्यास लिखें. यशपाल जी क्रांतिकारी विचारधार के धनी थे और वो समाज में सामाजिक और आर्थिक समानता लेन की बात करते थे. यहीं कारण था की महज़ 17 साल के उम्र में ही वो महात्मा गांधी के अनुयायी बन गए थे.
हिंदी के प्रमुख कहानीकार यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर 1903 को पंजाब में, फ़ीरोज़पुर छावनी में एक साधारण खत्री परिवार में हुआ था इनकी माँ श्रीमती प्रेमदेवी वहाँ अनाथालय के एक स्कूल में अध्यापिका थीं और इनके पिता हीरालाल एक साधारण कारोबारी थे. इन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से बीए किया और उस समय के प्रसिद्ध नाटकार उदयशंकर से ही उन्होंने लिखने की प्रेरणा ली. यशपाल जी एक निर्भीक वक्ता, स्पष्टवादी और राष्ट्रवादी लेखक थे इमका विवाह प्रकाशवती से हुआ था. कहानियों के मुताबिक़ उन्होंने बरेली के जेल में इनसे शादी की थी.
साल 1940 से 1976 तक इनकी 16 कहानी संग्रह प्रकाशित हुए और 17वीं इनके मरने के बाद प्रकाशित हुई थी.
26 दिसंबर,1976 को इनकी मृत्यु हो गई.
कहानी-संग्रहों मे
- पिंजरे की उड़ान,
- ज्ञानदान,
- भस्मावृत्त चिनगारी,
- फूलों का कुर्ता,
- धर्मयुद्ध,
- तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ
- और उत्तमी की माँ प्रमुख हैं
उपन्यास
- दिव्या
- देशद्रोही
- झूठा सच
- दादा कामरेड
- अमिता
- मनुष्य के रूप
- तेरी मेरी उसकी बात
पुरस्कार
- 'देव पुरस्कार' (1955)
- 'सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार' (1970)
- 'मंगला प्रसाद पारितोषिक' (1971)
- 'पद्म भूषण'
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
'मेरी तेरी उसकी बात' नामक उपन्यास पर साहित्य अकादमी पुरस्कार