भीष्म साहनी (8 अगस्त 1915- 11 जुलाई 2003)
भीष्म साहनी को हिंदी साहित्य में प्रेमचंद की परंपरा का अग्रिण लेखक कहा जाता हैं क्योंकि इनकी कहानियों में आधुनिक समय का यथार्थ दिखाई देता हैं जैसे की प्रेमचंद की कहानियों में देता था.
साहनी जी का जन्म 8 अगस्त 1915 रावलपिंडी पाकिस्तान में हुआ था. इनके पिता जी एक समाजसेवी थे. इनकी पहली शिक्षा इनके घर में ही हुई जहां पर इन्हें हिंदी और संस्कृत का ज्ञान दिया गया. बाद में इनका दाखिला स्कूल में कराया गया और वहां इन्होंने उर्दू और अंग्रेजी सीखी.
साल 1937 में लाहौर गवर्नमेन्ट कॉलेज से इन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम ए किया और इसके बाद साहनी जी ने वर्ष 1958 में पंजाब विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की.
साहनी जी अंबाला और अमृतसर में अध्यापक रहने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में साहित्य के प्रोफेसर भी बने.
साल 1957 से 1963 तक मास्को में विदेशी भाषा प्रकाशन गृह (फॉरेन लॅग्वेजेस पब्लिकेशन हाउस) में साहनी जी ने अनुवादक के रूप में काम किया.
हिन्दी फ़िल्मों के जाने माने अभिनेता बलराज साहनी इनके बड़े भाई थे. साल 1942 में भारत छोड़ों आंदोलन में भी इनकी भूमिका थी और इन्हें जेल भी जाना पड़ा था. देश विभाजन के बाद इनका पूरा परिवार अमृतसर आ गया.
विभाजन के दर्द को इन्होंने अपने उपन्यास तमस में बख़ूबी लिखा और इसके लिए इन्हें पुरस्कार भी मिला था. जिसका बाद में इंग्लिश में भी अनुवाद किया गया. इसके ऊपर टीवी सीरियल भी बनाया गया जिसमें हिंदी सिनेमा के दो महान अभिनेता ओमपुरी और अमरीश पुरी ने काम किया था.
उन्हें 1974 में तमस के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार.
प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
- झरोखे,
- तमस,
- बसंती,
- मय्यादास की माडी़,
- कुन्तो,
- नीलू निलिमा नीलोफर
कहानी संग्रह
- मेरी प्रिय कहानियां,
- भाग्यरेखा,
- वांगचू,
- निशाचर
नाटक
- हानूश ,
- माधवी ,
- कबिरा खड़ा बजार में ,
- मुआवज़े
आत्मकथा
बालकथा