बुद्धिमान ख़रगोश और मूर्ख हाथी

हिमालय की गुफाओं में एक जंगल था वहां पर कई सारे जंगली जानवर रहते थे. उसी जंगल में हाथियों का एक पूरा झुंड रहता था. उस झुंड के राजा का नाम हिंमवंत था वो बहुत ही विशाल और ताकतवर था. 

उस जंगल के सभी जानवर हाथियों के समूह से बहुत ही ज़्यादा डरते थे यहाँ तक कि शेर चीते भी उनका शिकार नहीं करते थे. हर कोई डरता था कि कहीं हिंमवंत के हाथों मारे ना जाये.

एक साल वहां पर इतनी ठंडी पड़ी की उस जंगल के सभी तालाब, पोखरे सब बर्फ से जम गये. अब हाथियों को बहुत समस्या होने लगी वहां पर अब उन्हें पानी नहीं मिल पाता था. हाथियों के कई सारे बच्चें प्यास के कारण मरने लगे.  फिर हिंमवंत ने अपने समूह की सुरक्षा के लिए वहां से दूर एक जंगल में जाने का निर्णय लिया और एक हफ्ते बाद सभी हाथी वहां के लिए रवाना हो गए. दो दिन के बाद वो उस जंगल में पहुंच गए और सभी हाथी अब वहां आराम से रहने लगे क्योंकि उस जंगल में एक बहुत बड़ा तालाब था. सभी हाथियों की मौज हो गई अब वो उस तालाब में दिनभर नहाते और मस्ती करते.

कई महीनें बीत गए अब उस तालाब में हाथियों का दबदबा बढ़ने लगा जिसके कारण उस तालाब के पास रहने वाले सभी खरगोशों को समस्या होने लगी क्योंकि हाथियों की वजह से उनके घर टूटने लगे और वो मरने लगे. इससे परेशान खरगोशों के मुखिया ने सभी खरगोश को बुलाकर इसका उपाय ढूंढने के लिए कहा. सभी ने मिलकर फैसला किया कि उनमें से कोई एक जाकर हिंमवंत से बात करें और उसे समझाएं कि हमें कितनी समस्या हो रही है और वो ये तालाब छोड़कर चले जाएं. उन सभी ने ये जिम्मेदारी एकदंत खरगोश को दिया क्योंकि को सबसे चालाक और बुद्धिमान था. अगले दिन वो हिंमवंत से मिलने के लिए गया. उसने जाकर हाथी से कहा की तुम कल से उस तालाब के पास नहीं जाओगे, और अगर तुम नहीं मानोगे तब तुम्हें दंड मिलेगा. हाथी उस ख़रगोश की बातें सुनकर हसने लगा और उससे बोला तू इतना सा खरगोश मुझे धमकी दे रहा है? मैं अभी अगर तेरे ऊपर पैर रख दूँ तो तू यहीं मर जायेगा. जा भाग जा. खरगोश डरा नहीं उसने कहा मैं कोई मामलू खरगोश नहीं हूँ मैं भगवान चंद्र देव का खरगोश हूँ और उन्होंने मुझे तुम्हे समझाने भेजा हैं. वो तुमसे बहुत क्रोधित हैं और अगर तुम्हें विश्वास नहीं होता तो चलो तालाब पर वो वहीँ तुम्हारा इंतज़ार कर रहें हैं. हाथी को यकीन नहीं हुआ और वो उसके साथ तालाब की चला आया और उसके बाद उसने देखा कि तालाब के पानी में चंद्र देव  की परछाई थी जिसे वो चन्द्रमा समझ बैठा और वहां से भाग गया इसके बाद हाथियों ने वो तालाब छोड़कर वापस अपने जंगल में चले गए. अब सब खरगोश आराम से रहने लगे. 


कहानी से सीख:

 हम अपनी बुद्धि और चालाकी के बल पर किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं.