कई साल पहले की बात हैं हिमालय के पास एक गाँव एक साधु रहता था. वह बहुत ही दयालु और सज्जन थे. एक बार वो गंगा स्नान करके लौट रहे थे कि अचानक उनके कमंडल में एक चूहा ऊपर से आ गिरा, जिससे एक बाज़ अपने पंजों में दबा कर ले जा रहा था.
साधु ने उसे अपने साथ अपने आश्रम में ले आये. उसकी देखभाल की और कुछ ही हफ़्तों में वो ठीक हो गया. अब वो दिन भर उन्हीं की साथ रहता था, उनके साथ ही खाता और विश्राम करता था. एक दिन उस आश्रम में एक बिल्ली आ गई और उसने चूहे पर हमला कर दिया लेकिन साधु ने उसे बचा लिया. अब चूहे की हालत देखकर साधुने सोचा की इस तरह कभी भी इसकी जान चली जाएगी तो उन्होंने उसे अपने मंत्रों से बिल्ली बना दिया. अब बिल्ली बनकर चूहा पूरे आश्रम में बिना किसी डर के घूमने लगा. कई दिनों तक चूहा आराम से उस आश्रम में रहा. एक दिन वहां पर एक कुत्ता आ गया, कुत्ते को देखते ही बिल्ली बना चूहा आश्रम में जा कर छुप गया और कई दिनों तक ऐसे ही छुपा रहा. जब साधु को इसके बारें में पता चला तो वो बहुत ही चिंतित हो गए. उन्होंने बहुत सोचा और अचानक उसे मंत्रो से कुत्ता बना दिया. अब चूहा ख़तरे से बच गया और वहां पर आराम से रहने लगा.
लेकिन कहते है न कि चार दिन की चांदनी और फिर अँधेरी रात..
कुछ दिन बीते ही थे की अचानक पास के जंगल से एक चीत उधर आ गया, चीते को देखते ही कुत्ता गायब हो गया. अब साधु बहुत परेशान हो गया, फिर उसने अपने मंत्रों की शक्ति से उसे एक शेर बना दिया और शेर बनते ही उसने चीते को भगा दिया और इसके तुरंत ही अपने स्वभाव के मुताबिक उस साधु पर हमला कर दिया और उसे खा लिया. धीरे धीरे करके उसने आश्रम में रह रहे सभी इंसानों और जानवरों को खा लिया. इसके बाद वो वापस जंगलमें चला गया.
कहानी से सीख :
हमें हमेशा किसी भी व्यक्ति की तब तक मदद करनी चाहिए जब तक वो आपके द्वारा किये गए नेकी और भलाई को सही से समझता हो. कभी भी एक कृतघ्न और मतलबी इंसान की मदद नहीं करना चाहिए क्योंकि इंसानों की फितरत बहुत ही जल्दी बदलती हैं.