एक बार बादशाह के वज़ीर ने बीरबल से बदला लेने के लिए एक चाल चली. उसने बादशाह के ख़ास नाई को अपनी चाल में शामिल कर लिया. कई दिनों बाद बादशाह ने अपने नाई को बुलवा कर अपने दाढ़ी बाल बनवा रहे थे,
तभी वहां एक कांव आकर ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा. बादशाह ने नाई से पूछा; आज ये कांव इतना कौअ कौअ क्यों कर रहा हैं? नाई ने बता कि जहाँपना ये आपके लिए आपके पूर्वजों का स्वर्ग से संदेशा लाया हैं. शायद वो किसी मुसीबत में हैं. या फिर उनको कोई तकलीफ़ हैं.
बादशाह ने फिर पूछा; तो इसका पता कैसे लगाया जाए की उनको क्या परेशानी है? तब नाई ने कहा, क्यों ना आप अपने एक मंत्री को वहां पर भेजकर उनका हाल चाल जान ले? बादशाह ने कहा, क्या कोई ज़िंदा आदमी स्वर्ग जा सकता हैं? तब नाई ने कहा, जी बिल्कुल जहाँपना एक ज़िंदा आदमी वहां जरूर जा सकता हैं. हमारे राजपुरोहित उसे अपने मंत्रों की शक्ति से उस लोक भेज सकते हैं.
बादशाह ने पुरोहित को बुलाकर पूछा तो उन्होंने कहा की ऐसा किया जा सकता हैं. अब बादशाह ने सभी दरबारियों से पूछा की किसे भेजा जाये तो सभी ने एक सुर में बीरबल का नाम लिया. बादशाह भी सहमत हो गए.
नगर के प्रांगण में एक कुटिया बना दी गई और बीरबल को बुलाया गया. जब बीरबल को इस बात की जानकारी मिली तो वो समझ गए की इसमें जरूर कोई साज़िश हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने बादशाह की आज्ञा को मान लिया लेकिन उन्होंने बादशाह से कहा, जहांपना मुझे 9 दिन की मौहलत दी जाये ताकि स्वर्ग के सफ़र पर जाने से पहले मैं अपने सगे संबंधियों से मिल लूँ. बादशाह मान गए और उन्होंने बीरबल को 9 दिन का समय दे दिया. नौ दिन बाद बीरबल राज दरबार आये और उस कुटिया में चले गए. फिर राजपुरोहित के कहने पर उसमें आग लगा दी गयी और कुटिया जल गयी.
इस बात को कई महीने बीत गए अब अकबर को बीरबल की याद आने लगी, वो सोचने लगे की बीरबल अभी तक मेरे पूर्वजों का संदेश लेकर नहीं लौटे? क्या हुआ होगा? वो सही सलामत पहुंचे होंगे की नहीं?
एक दिन अचानक उनके दरबार एक साधु की तरह दिखने वाला आदमी आया उसे बाल और दाढ़ी बहुत बड़े बड़े थे. अकबर ने उसे पहचान लिया वो बीरबल थे. वज़ीर बीरबल को ज़िंदा देखकर हैरान परेशान हो गया. अकबर ने बीरबल से पूछा की आख़िर स्वर्ग में मेरे पूर्वज और अब्बा जान सभी आराम से हैं न? बीरबल ने कहा, जी जहांपना वो बहुत ही आराम से हैं किन्तु.!
किन्तु क्या बीरबल? किन्तु जहांपना वो बहुत परेशान हैं क्योंकि वहां स्वर्ग में उनके दाढ़ी बाल और नाख़ून बहुत बड़े हो गये हैं इसलिए उन्होंने आपके लिए आदेश दिया हैं की आप एक अच्छा सा नाई उनके लिए भेज दीजिये.
अकबर ने कहा इसमें क्या दिक्क्त हैं हम आज ही आपने ख़ास नाई को वहां भेज देते हैं. नाई को बुलाया गया और अकबर ने उसे स्वर्ग में जाने के लिए कहा. नाई ने जब देखा की उसकी चाल उसी पर भारी पड़ रही थीं तो उसने तुरंत बादशाह से वज़ीर और पुरोहित के षड़यंत्र के बारे में बता दिया.
बादशाह ने वज़ीर, पुरोहित और नाई को कठोर दंड दिया. फिर उन्होंने बीरबल से पूछा तो तुम ज़िंदा कैसे बचे? बीरबल ने फिर अकबर को बताया कि, आपने जो मुझे 9 दिन का समय दिया था उसी समय में मैंने अपने घर से इस कुटिया तक एक लम्बी सुरंग बनवा लिया था और कुटिया में आग लगी तो उसकी के माध्यम से मैं बचकर वहां से भाग गया.