डायरी के पन्ने हवाओं के झोंकों से अचानक उड़ने लगे, रश्मि जल्दी से किचन में चाय उबलती छोड़कर दौड़ पड़ी.
बॉलकनी में फैलाये हुए कपड़ों के लिए. वो जल्दी जल्दी सब कुछ समेटने लगी,लेकिन ये ज़िंदगी हैं यहाँ आप कितनी भी रफ़्तार से क्यों न सब कुछ समेट लेने की कोशिश करे मगर कुछ न कुछ छूट जाता है. उसका दुप्पटा भीग चूका था, रश्मि कपड़ों को हॉल में एक एक करके फैलाने लगी. तभी उसे याद आया कि उसने किचन में चाय चढ़ा रखी हैं, वो वहां से तुरंत किचन में पहुँच गई. थैंक गॉड! चाय जली नहीं, लम्बी सांस भरते हुए रश्मि ने कहा. उसने गैस बुझा दी और चाय को एक कप में लेकर बॉलकनी के पास आ गई.
ये जुलाई महीने में इतनी बारिश क्यों होती हैं? रश्मि को बारिश ज़रा भी पसंद नहीं थी, अगर उसके बस में होता तो वो कभी भी बारिश नहीं होने देती. लेकिन हर चीज़ इंसान के बस में कहाँ होती? तभी बेड रूम से बच्चे के रोने की आवाज़ आई, निक जाग गया था. रश्मि ने चाय वो वहीं रख दिया और बेड रूम में जाकर निक वो गोद में उठा लिया. अले मेरा बेटा जाग गया, मम्मी का राजा बेटा ऐसा कहते हुए निक को दुलारते हुए वो बालकनी में आ गई. बचपन भी कितना अनोखा होता हैं, बच्चें छोटी छोटी बातों में रो देते हैं. लेकिन पता नहीं ऐसा क्यों होता है कि बड़े होने पर आप चाह कर भी रो नहीं सकते. बॉलकनी के पास निक को गोद में लिए हुए रश्मि बाहर बारिश को देख रही थी, जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. उसे याद आया उस रात भी ऐसी ही बारिश हो रही थी, जब उसने आख़िरी बार मयंक को देखा था. उसे कहाँ पता था कि इसके बाद वो कभी उससे नहीं मिलने वाली थी, यहीं कारण था कि रश्मि को अब बारिश अच्छी नहीं लगती थी. उसे हमेशा यहीं लगता हैं कि अगर उस रात बारिश नहीं हो रही होती तो आज......
निक ने अपने नन्हें हाथों की छोटी छोटी उँगलियों से रश्मि के गाल को छूने लगा. वो अपने यादों के सफ़र से कोलकाता के इस छोटे से फ़्लैट की बॉलकनी में वापस आ गई. निक उस समय अपनी माँ रश्मि के गोद में था, उसने तो मयंक को देखा ही नहीं था. उसने तो कभी ये जाना ही नहीं की पापा कैसे होते हैं? निक अब 3 साल का हो गया था, इन बीते तीन सालों को रश्मि ने अकेले ही मयंक की यादों और निक के सुनहरे भविष्य के सहारे ही कटी थी. उसने दूसरी शादी के बारे में नहीं सोचा, लेकिन घरवालों ने कई बार उससे समझाया था कि तुम दूसरी शादी करलो. तभी फ़ोन की घंटी बजी,माँ थी. उसने फ़ोन उठाया और माँ ने हेलो बोलते ही कहा, रश्मि तुम कब तक इस तरह ज़िंदगी काटों गी? मैंने कितने बार तुमसे कहा कि शादी कर लो. लेकिन तुम.... और माँ चुप हो गई. थोड़ी देर बाद पापा ने फ़ोन ले लिया, रश्मि तुम कल फ्री हो? अगर नहीं हो तो तुम कल टाइम निकाल लेना तुम्हारे लिए एक लड़का देखा है, उससे मिल लो...
रश्मि कुछ कह पाती कि फ़ोन कट गया, ये कोई रिक्वेस्ट नहीं था एक आर्डर था. वो समझ गई थी और अधूरे मन से ख़ुद को कल जाने के लिए तैयार किया.
अगली सुबह वो अपनी पुरानी ब्लैक जीन्स और हरे कलर का कुर्ता पहन कर आईने के सामने कुछ देर तक खुद को आईने में एकटक देखती रही. उम्र तीस की हो चली थी, एक बच्चें की माँ होने के साथ साथ वो अब एक औरत थी. हाँ औरत! समाज की उन तमाम औरतों की तरह जिन्हें हर पल हर घड़ी उनके औरत होने का एहसास दिलाया जाता है. उसने अपने माथें पर एक बिंदी लगाई और निक को गोद में लेकर वो चल पड़ी.
इतने लम्बें जाम के बाद वो एक घंटे में पापा के द्वारा बताये गए रेस्टुरेंट में पहुँच ही गई. वहां कोने में एक टेबल पर करीब 29-30 साल एक शख़्स शायद उसी का वेट कर रहा था. उसने रश्मि को देखते ही हवा में हाथ हिलाया और रश्मि को अपने पास बुलाया. हेलो रश्मि! मैं सुमित, सुमित ने फॉर्मली कहा. ये निक हैं न? रश्मि हैरान हो गई, की इसे निक के बारे में किसने बताया. सुमित ने आगे कहा, अरे वो अंकल ने मुझे निक के बारें में बताया था और तुम्हारे बारे में भी...
वेटर! सुमित ने वेटर को इशारे से अपने पास बुलाया और कहा, वन कॉफ़ी एंड यू? रश्मि से पूछा. वन कैपेचिनो, रश्मि ने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा और हाँ वन आइस-क्रीम.
वेटर के जाने के बाद सुमित ने बातों का सिलसिला जारी रखा और जो बात नौकरी और हॉब्बीज़ से शुरू हुई थी, वो कॉफ़ी के ख़त्म होने तक शादी की तारीखों तक पहुँच गए. तो क्या तुम मुझसे शादी करोगी? रश्मि इस प्रश्न से थोड़ा सा सोच में पड़ गई और बिना कुछ कहे, वापस आ गई.
घर पहुँचते पहुँचते शाम हो गई थी और निक गाड़ी के बैक सीट पर ही सो गया था. रश्मि ने कार को सोसाइटी के पार्किंग में पार्क किया, निक को गोद में लिए हुए फ़्लैट पर आ गई. रश्मि ने दरवाज़ा खोला, निक को बेड रूम में सुला कर उसने फ़ोन देखा तो उसमें चालीस मिस्ड कॉल थे. तभी एक बार फिर फोन बजा, माँ का ही था. रश्मि ने फोन उठाया नहीं, कि माँ ने सवालों की बौछार कर दी. फोन क्यों नहीं उठाया तुमने? कहाँ थी तुम? कैसा लगा सुमित? तुम्हें पसंद तो हैं न?
रश्मि अभी चैन की सांस ले पाती कि पापा लाइन पर आ गए. सुमित को तुम बहुत पसंद हो बेटा, वो तो तुम्हारी ही बातें कर रहा हैं, मैंने फोन किया था उसे. और सबसे अच्छी बात ये हैं कि सुमित को निक से कोई ऐतराज़ नहीं हैं. ऐतराज़! ये शब्द सुनते ही रश्मि मानों पत्थर की बूत की तरह ख़ामोश हो गई, उसने बिना कुछ कहे कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया. ऐतराज़! यही एक शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे, ऐतराज़! क्यों? और ऐतराज़ होना भी क्यों चाहिए? निक तो आख़िर मयंक की अंतिम निशानी हैं. उसके बाल बिल्कुल मयंक की तरह हैं, और आँखे! वो तो पूरी तरह से उसी की हैं. बड़े बड़े ब्राउन कलर की....
इसी उधेड़बुन में रश्मि खोई थी कि एक बार फिर फोन की घंटी बजी, अननोन नंबर था. उसने कॉल पिक की तो पता चला सुमित की कॉल थी वो. हेलो रश्मि तुम ठीक तो हो न? उसने इतने फ़िक्र के साथ पूछा मानों वो मेरे बचपन का दोस्त हो? या मुझे कितने सालों से जानता हो? हां! आई एम् ओके रश्मि ने धीरे से कहा.
अभी तुम्हारे पैरेंट का फोन आया था, मैंने तो उनसे हाँ कर दी हैं लेकिन फिर भी मैं तुम्हारा जवाब जानना चाहता हूँ. क्या तुम मुझसे....
रश्मि ने इस बार कॉल नहीं काटा और न ही ख़ामोशा रही, मुझे अच्छा लगा कि तुम मेरा जवाब सुनना चाहते हो. पर क्या तुम मुझे आज रात का वक़्त दे सकते हो? मैं कल तुम्हें बताती हूँ. ओके नो प्रॉब्लम यू टेक योर टाइम, ये कहकर सुमित ने फोन काट दिया. रश्मि ने फोन को वही बेड पर रख दिया और निक के सर पर हाथ फेरते हुए बार बार घरवालों और सुमति के बारे में सोचने लगी. एक तरफ घरवाले थे जो चाहते थे कि एक बार फिर से मैं घर बसाऊं और दूसरी तरफ सुमित था, जो मेरे अतीत के बारे में सब कुछ जानने के बाद भी न सिर्फ मुझे बल्कि निक को भी अपनाने के लिए तैयार था. लेकिन फिर भी एक अजीब सी उधेड़बुन में वो खोई हुई थी. बार बार रश्मि सोचती, क्या मुझे पापा की बात मान लेनी चाहिए? आख़िर वो मेरा भला ही तो चाहते हैं और सुमित! वो भी तो अच्छा हैं,हर चीज़ जानने के बावज़ूद भी वो मेरे फैसले का इंतज़ार कर रहा हैं. रात इसी उधेड़बुन में निकल गई. सुबह के करीब आठ बजे थे उसने सुमित का नंबर कॉल हिस्ट्री से निकाला और कॉल किया... यस रश्मि आई वाज़ वेटिंग फॉर योर कॉल, सुमित ने फोन की दूसरी तरफ से कहा. रश्मि ने बिना टाइम वेस्ट किये कहा, सुमित मुझे पता हैं कि तुम एक अच्छे आदमी हो, जो भी लड़की तुमसे शादी करेगी वो बहुत लकी होगी... लेकिन आई रियली सॉरी! आई थॉट अलॉट बट आई कैन नॉट मैरी अगैन. वी कुड बी अ गुड फ्रेंड! और दोनों तरफ से कॉल डिस्कनेक्ट हो गया.
टूँ-टूँ-टूँ-टूँ.................