ये कहानी हैं हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े एक्टर जिन्हें पूरी दुनिया ''ग्रेटेस्ट शोमैन'' के नाम से जानती हैं. हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े कहानीकार, अभिनेता , डायरेक्टर, प्रोडूसर राजकपूर साहब की. राजकपूर, कपूर ख़ानदान के दूसरी पीढ़ी के सबसे बड़े वारिस थे. इन्होंने इंडियन सिनेमा को नई दिशा और आयाम दिया. राजकपूर साहब को फ़िल्म जगत में कई सारे अवॉर्ड्स से सम्मानित किया गया. इनको 3 नेशनल अवॉर्ड और 11 बार फ़िल्मफेयर अवॉर्ड्स से नवाज़ा गया. टाइम्स मैगज़ीन के अनुसार साल 1951 में आई इनकी फ़िल्म आवारा टॉप 10 ग्रेटेस्ट परफॉरमेंस ऑल टाइम में गिनी जाती हैं.
जन्म, परिवार और एजुकेशन
राजकपूर साहब जिन्हें लोगों के ग्रेटेस्ट शोमैन के नाम से जाना उनका असली नाम सृष्टि नाथ कपूर था. इनका जन्म 14 दिसंबर 1924 को ''कपूर हवेली'' क़िस्सा खवानी बाजार, पेशावर में हुआ था. ये महान एक्टर, डायरेक्टर पृथ्वी राज कपूर के बड़े बेटे थे. इनके पिता हिंदी सिनेमा और थिएटर के जनक माने जाते हैं.इनके दादा का नाम दीवान बशेश्वरनाथ कपूर था. इन्होंने कैम्ब्रीज ब्राउन स्कूल देरादून,St Xavier's Collegiate School कोलकाता और मुंबई से अपनी पढ़ाई कम्पलीट की. इनके दोनों मरहूम भाई शम्मी और शशि कपूर फ़िल्मों में बेतरीन अभिनेता थे. अनिल,संजय और बोनी कपूर इनके कजिन लगते हैं.
फ़िल्मी करियर और ग्रेटेस्ट शोमैन बनने का सफ़र
10 साल की उम्र में ही ये बतौर चाइल्ड एक्टर उन्होंने साल 1935 में आई बॉलीवुड फ़िल्म इंक़लाब में काम किया. इनकी पहली बतौर लीड एक्टर डेब्यू फ़िल्मी साल 1947 में आई नील कमल थी. जिसमें ये बॉलीवुड की बेहतरीन अदाकारा मधुबाला के साथ नज़र आये थे. साल 1948 में महज़ 24 साल की उम्र में इन्होंने खुद की फ़िल्म स्टूडियो खोल ली जिसका नाम रखा R. K. Films और हिंदी सिनेमा में सबसे काम उम्र के निर्देशक बन गए. इसके बाद इन्होंने आग, अंदाज़,और बरसात जैसी फ़िल्मों में बतौर एक्टर, डायरेक्टर और प्रोडूसर काम किया.
इन्होंने बतौर लीड स्टार और प्रोडूसर कई सारी हिट फ़िल्में बनाई जैसे, आवारा, श्री 420, जागते रहो, जिस देश में गंगा बहती हैं, दास्तान, अनहोनी,आह, चोरी चोरी, अनारी, दो उस्ताद, छलिया,बूट पोलिश और अब दिल्ली दूर नहीं.
साल 1964 में इन्होंने संगम फ़िल्म बनाई जो की इनकी पहली कलर फ़िल्म थी. इसके बाद इन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी दास्तान पर आधारित फ़िल्म बनाई ''मेरा नाम जोकर''. इसे बनाने में 6 साल लग गए और इस फ़िल्म से इनके मझले बेटे ऋषि ने फ़िल्म डेब्यू किया था. ये फ़िल्म स्टार्टिंग में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही इससे इनके परिवार पर बहुत कर्ज़ा हो गया. लेकिन कुछ सालों बाद इस फ़िल्म हो हिंदी सिनेमा का कल्ट क्लासिक फ़िल्म घोषित किया गया. लेकिन इस से इनका बहुत नुक्सान हुआ. उसके बाद इन्होंने अपने बड़े बेटे रणधीर कपूर के साथ उसकी पहली फ़िल्म कल, आज और कल में अपने पिता पृथ्वी राज कपूर के साथ काम किया.
साल 1973 में इन्होंने एक ऐसी फ़िल्म बनाई जो मेरा नाम जोकर के पहले भाग पर आधारित थी. इसका नाम था ''बॉबी'' इस फ़िल्म में इनके बेटे चिंटू यानी ऋषि कपूर ने अपना पहला लीड डेब्यू किया था और इनकी हीरोइन रही डिम्पल कपाड़िया. ये फ़िल्म हिंदी सिनेमा की पहली टीनएज लव स्टोरी थी, जिसमें पहली बार किसी हीरोइन ने बिकिनी पहनी थी. ये फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर गई. जो कर्ज़ और घाव मेरा नाम जोकर से मिलें थे वो सब इस फ़िल्म की सफ़लता ने भर दिए. राजकपूर ने फीमेल प्रोटोगनिस्ट पर भी आधारित फ़िल्में भी बनाई जैसे, सत्यम शिवम् सुंदरम, राम तेरी गंगा मैली, प्रेम रोग.
पर्सनल लाइफ और डेथ
राजकपूर साहब ने 1946 में कृष्णा मल्होत्रा से शादी की थी. कृष्णा मल्होत्रा एक्टर प्रेमनाथ, राजेंद्र नाथ और नरेंद्र नाथ की बहन थीं इसलिए ये सभी इनके साले बन गए. बाद में मशहूर एक्टर प्रेम चोपड़ा ने इनकी पत्नी की छोटी बहन से शादी की और इनके शाडू बने. इनके पांच बच्चें हुए. तीन बेटे और दो बेटियां. बेटियां दोनों फ़िल्मों से दूर रही जबकि इनके तीनों बेटों रणधीर, ऋषि और राजीव का फ़िल्मों काफी नाम रहा.
राजकपूर साहब और नरगिस के साथ कभी लम्बें समय तक अफेयर रहा और साल 1956 में दोनों अलग हो गए. राज कपूर साहब ने एक बार वैजयंतीमाला के साथ लिंक अप के बारें में कहा था और इनके बेटे ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा खुल्लम खुल्ला में इसका ज़िक्र किया हैं.
राज कपूर साहब बाद में अस्थमा के शिकार हो गए और साल 1988 में 63 साल की उम्र में इनका निधन हो गया.