ये दास्ताँ हैं हिंदी सिनेमा के सबसे अनोखे और ज़िंदा दिल अभिनेता शम्मी कपूर की. शम्मी कपूर ने अपने फ़िल्मीं करियर में बतौर एक्टर और डायरेक्टर काम किया. इन्हें फिल्म फेयर बेस्ट एक्टर और सपोर्टिंग एक्टर के अवॉर्ड्स से फ़िल्म ब्रह्मचारी और विधाता में नवाज़ा गया. इन्होंने साल 1950 से 1970 तक थिएटर्स, ब्लैक एंड वाइट और कलर सिनेमा में बतौर एक्टर काम किया. इसके बाद इन्होंने करैक्टर आर्टिस्ट की भूमिका में कई जबरदस्त किरदार निभाए.
जन्म, परिवार और एजुकेशन
शम्मी कपूर का जन्म 21 अक्टूबर 1931 को मुंबई में हुआ था. इनका पूरा नाम शमशेर राज कपूर था. इनके पिता हिंदी सिनेमा के बेहतरीन एक्टर, डायरेक्टर पृथ्वी राजकपूर थे. इनके बड़े भाई बॉलीवुड के ग्रेटेस्ट शोमैन राज कपूर थे. मशहूर अभिनेत्री और गायिका सलमा आग़ा इनकी भतीजी लगती थी. इनकी पढ़ाई-लिखाई हुई कोलकाता और मुंबई में. शम्मी कपूर शुरुआती दौर में फ़िल्मों में काम नहीं करना चाहते थे और वो अरनोटिकल इंजीनियर बनना चाहते थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
फ़िल्मी करियर और सफलता
थिएटर्स और सिनेमा से इनकी पहचान बचपन से ही हो गई थी. इनके पिता और बड़े भाई दोनों महान एक्टर रहे. जब ये छोटे थे तो ये बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट रात में ड्रामा में काम करते थे और सुबह जब ये स्कूल जाते तो इनको नींद आ जाती इसे देखते हुए स्कूल वालों ने इनके पिता को अगले दिन स्कूल में बुलवाया. पृथ्वी राजकपूर बहुत बिजी थे और इनके बड़े भाई राज साहब स्कूल में गए और स्कूल वालों ने फ़िल्म और रंगमंच की बहुत बुराई की और उसके बाद राजकपूर ने शम्मी कपूर से कहा, चलो यहां से! जो लोग हमारी एक्टिंग और पेशे की इज़्ज़त नहीं कर सकते ऐसे स्कूल में तुम नहीं पढ़ोगे और शम्मी कपूर को लेकर चले आये.
शम्मी कपूर ने 50 रुपए प्रति माह के वेतन पर पृथ्वी थिएटर्स में काम किया.
इसके बाद साल 1953 में इनकी पहली फ़िल्म रिलीज़ हुई, जिसका नाम था जीवन ज्योति. फ़िल्म ने कुछ ख़ास कमाल तो नहीं दिखा पाई लेकिन लोगों ने देखा की ये अपने भाई की कॉपी कर रहे हैं और इनकी खूब आलोचना हुई.
इनकी कई सारी फ़िल्में आई जैसे, नक़ाब, रेल का डिब्बा,और हम सब चोर हैं. लेकिन साल 1957 में एक ऐसी फ़िल्म आई जिसने सबको दिखा दिया की एक और बेहतरीन एक्टर कपूर ख़ानदान से बॉलीवुड में आ गया हैं. मशहूर निर्देशक नासिर हुसैन के निर्देशन में बनी फ़िल्म तुमसा नहीं देखा ने एक नए शम्मी कपूर को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया. इन्होंने अपनी मूंछे हटा दी और एक अलग हेयर स्टाइल के साथ इ सिल्वर स्क्रीन पर दिखाई दिए. इसके बाद शम्मी साहब ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इन्होंने सायरा बनो, आशा पारेख, शर्मीला टैगोर के साथ कई सारी फ़िल्मों में बतौर लीड एक्टर काम किया. साल बदलता रहा और ये कई सारी सुपरहिट फ़िल्मों में दिखाई दे रहे थे. लेकिन फ़िल्म राजकुमार के सेट पर टाइटल सांग शूट के दौरान इनके पैर की हड्डियां टूट गई. ये हाथी पर बैठकर शूटिंग कर रहे थे और हाथी ने अपनी गर्दन हिलाई और इनके पैर की हड्डी टूट गई.
इसके बाद इन्होंने फ़िल्मों से ब्रेक ले लिया और अपने माँ-बाप के साथ टाइम बिताने लगे.
90 के दशक में ये एक बार फिर फ़िल्मों में वापस आये और इन्होंने बेतरीन करैक्टर आर्टिस्ट की भूमिका निभाई. फिर वो अपने अपने भतीजे ऋषि के साथ प्रेम ग्रन्थ हो, या सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ परवरिश. हर तरह के करैक्टर रोल में इन्होंने कमाल कर दिया. इन्होंने सलमान ख़ान, गोविंदा और यहां तक की अपने बड़े भाई के पोते रनबीर कपूर के साथ भी फ़िल्म रॉकस्टार में दिखाई दिए.
पर्सनल लाइफ और डेथ
शम्मी कपूर ने गीता बाली से शादी की. इनके दो बच्चें हुए. लेकिन साल 1965 में गीता बाली का निधन हो गया और फिर इनका विवाह हुआ नीला देवी से.
7 अगस्त 2011 को इनको मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. ये काफी समय से बीमार थे और 14 अगस्त 2011 की सुबह 5:15 पर इनका देहांत हो गया.