यहूदियों के नरसंहार की असली कहानी

The True Story of The Holocaust

इतिहास में कई सारे नरसंहार की कहानी मिलती हैं जो बहुत ही भयानक और दर्दनाक हैं. जिसमें कई सारे निर्दोषों को बदला लेने के लिए मौत के घाट उतार दिया गया. इन नरसंहारों में कई लाख लोगों की निर्मम हत्याएं कर दी गई. जैसे जलियाँवाला बाग़ हत्या कांड, भारत विभाजन का हत्या कांड, और होलोकॉस्ट जिसे यहूदियों का नरसंहार भी कहा जाता हैं ये सब शामिल हैं. जिसमें से सबसे होलोकॉस्ट एक ऐसा केस हैं जिसे पूरी प्लांनिग के साथ किया गया था. 

होलोकॉस्ट क्या हैं और इसकी असली वजह ?

होलोकॉस्ट यानी यहूदियों का नरसंहार जिसे जर्मनी के तानाशाह शासक अडोल्फ़ हिटलर ने एक नस्लभेदी और प्रतिशोध की भावना से किया था. साल 1933 में जर्मनी की सत्ता हिटलर के हाथ में आई और उसने वहाँ पर रह रहें यहूदियों को सब ह्यूमन करार दिया और उन्हें इंसानी नस्ल का हिस्सा नहीं माना. जब 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो उसने जर्मनी में रह रहें सभी यहूदी सैनिकों को मौत के घाट उतारने के लिए उन्हें जान बूझकर कैंप में बंद कर देता और उसके बाद उसमें जहरीली गैस डाल दी जाती. 

द्वितीय विश्व युद्ध के 6 सालों में लगभग 60 लाख यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया गया जिसमें 15 लाख तो सिर्फ़ बच्चें थे. जर्मनी का आलम ऐसा था की वहाँ पर यहूदियों को ढून्ढ ढून्ढ कर मार जाता था. 

होलोकॉस्ट में सिर्फ़ उसी इंसान की हत्या की जाती थी जो यहूदी पैदा हुआ था और इसी वजह से इसे इनाम दिया गया. होलोकॉस्ट की ही तरह की कई और घटनाएं इतिहास में हुई जिनमें कैंप का सहारा लेकर यहूदियों का क़त्ल किया गया लेकिन होलोकॉस्ट दो मायने में अन्य घटनाओं से अलग थी.. 


  • 1. दूसरे समूहों के प्रति अपनी नीतियों से अलग नाजियों ने हर यहूदी को मारने का बीड़ा उठाया. इसके लिए उन्होंने उम्र, लिंग, आस्था या काम की परवाह नहीं की, उन्होंने इस मकसद को अंजाम देने के लिए खास तौर पर एक आधुनिक नौकरशाही का इस्तेमाल किया. 

  • 2. नाजी नेतृत्व का कहना था कि दुनिया से यहूदियों को मिटाना जर्मन लोगों और पूरी इंसानियत के लिए फायदेमंद होगा.  हालांकि असल में यहूदियों की ओर से उन्हें कोई खतरा नहीं था.